सूत्रों ने बताया कि इसके अलावा खाद्यान्न फसलों के बीमा पर प्रीमियम को भी पूरी तरह से माफ करने का प्रस्ताव है। बागवानी फसलों की बीमा का प्रीमियम भी कम किया जा सकता है। मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में हाल में हुये विधानसभा चुनावों में सत्ता गंवाने के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार कृषि क्षेत्र की बदहाली पर ध्यान केंद्रित कर रही है। पिछले कुछ दिनों में इस संबंध में कई बैठकें हो चुकी हैं। इन बैठकों में बंपर फसल उत्पादन के बाद किसानों को उचित कीमत नहीं मिल पाने की समस्या को दूर करने की योजना पर चर्चा की गयी। किसानों को तत्काल राहत देने के बारे में एक प्रस्ताव यह है कि ठीक समय पर कृषि लोन की किस्त चुकाने वाले किसानों पर चार प्रतिशत ब्याज का भार पूरी तरह से समाप्त कर दिया जाये। अभी किसानों को तीन लाख रुपए तक का ऋण सात प्रतिशत की ब्याज दर से दिया जाता है। समय पर ब्याज भरने वाले किसानों को सरकार की तरफ से पहले ही तीन प्रतिशत की अतिरिक्त छूट दी जा रही है।
सरकार ने चालू वित्त वर्ष में किसानों को 11 लाख करोड़ रुपए का कर्ज देने का बजट लक्ष्य तय किया है। पिछले वित्त वर्ष में सरकार ने 10 लाख करोड़ रुपए का लक्ष्य पार कर किसानों को 11.69 लाख करोड़ रुपए का ऋण दिया था। केंद्र सरकार इस समय सामान्य रूप से किसानों को ब्याज की दो प्रतिशत सहायता तथा समय पर भुगतान करने पर ब्याज की पांच प्रतिशत की सहायता योजना पर सालाना करीब 15 हजार करोड़ रुपए का खर्च वहन करती है।
सूत्रों ने कहा कि यदि समय पर कर्ज चुकाने वाले किसानों को पूरी की पूरी ब्याज के बराबर सब्सिडी दी जाए तो यह बोझ बढ़कर 30 हजार करोड़ रुपए पर पहुंच जाएगा। इसके अलावा सरकार प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में भी राहत देने की योजना बना रही है। इसके तहत खाद्यान्न फसलों के बीमा पर पूरी तरह से प्रीमियम छोड़ना तथा बागवानी फसलों की बीमा पर प्रीमियम में राहत देने पर विचार चल रहा है।