सत्ता खोने के बाद आयी संपूर्ण शास्तिकर माफी की याद

पिंपरी। सँवाददाता : राज्य की सत्ता में रहने के दौरान शास्तिकर माफी का गाजर दिखाते बैठे सत्तादल भाजपा को सत्ता खोने के बाद संपूर्ण शास्तिकर माफी की याद हो आयी। शुक्रवार को संपन्न हुई पिंपरी चिंचवड मनपा की सर्वसाधारण सभा में 2000 वर्ग फीट से ज्यादा क्षेत्र के अवैध निर्माणों को भी शास्तिकर माफी देने का फैसला किया गया। इसके अलावा एक अप्रैल 2920 से 500 वर्ग फीट के नए निर्माणकार्यों के लिए संपत्ति कर माफी का फैसला भी किया गया। हालांकि इन फैसलों से जुड़े प्रस्ताव एक उपसुझाव के तौर पर पेश किया और मंजूर किया गया। अतः विपक्षी दलों ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई। साथ ही सत्ता में रहने के दौरान इसका उचित तरीके से प्रस्ताव क्यों नहीं पेश किया गया? यह सवाल भी उठाया। सभा की अध्यक्षता महापौर उषा ढोरे ने की।
सन 2008 से पिंपरी चिंचवड शहर के अवैध निर्माणकार्यों के लिए तीन गुना संपत्तिकर के रूप से शास्तिकर निर्धारण का फैसला लागू किया गया। हालांकि 2012 से इसकी परोक्ष अमलबाजी शुरू की गई। शहर के करीबन 70 हजार से ज्यादा अवैध निर्माणकार्यों को यह शास्तिकर लागू है। यह कर माफ करने का भरोसा दिलाते हुए राज्य एवं मनपा की सत्ता हासिल करने वाली भाजपा ने पहले 500 और बाद में एक हजार वर्ग फीट तक के अवैध निर्माणकार्यों को शास्तिकर से माफी दिलाने का फ़ैसला किया है। हालांकि बात संपूर्ण शास्तिकर माफी की थी, अतः लोगों में इसकी नाराजगी बनी रही। राज्य की सत्ता खोने के बाद भाजपा ने इस मसले को गंभीरता से लिया। दो साल बाद मनपा चुनाव में लोगों की नाराजगी से नुकसान न हो इसके लिए उपसुझाव के जरिये दो हजार वर्ग फीट से ज्यादा क्षेत्र के अवैध निर्माणकार्यों को भी शास्तिकर से माफी देने का फैसला किया गया।
इसके अलावा 500 वर्ग फीट क्षेत्र के नए निर्माणकार्यों के लिए संपत्ति कर माफ करने का फैसला किया गया है। बहरहाल सत्तादल ने उपरोक्त फैसले जिस प्रस्ताव पर उपसुझाव पेश कर किये हैं, वह प्रस्ताव और उस पर दिए गए उपसुझाव विसंगत हैं। यह आपत्ति विपक्षी दलों ने जताई है। विसंगत उपसुझाव रहने से राज्य सरकार इसे अंतिम मंजूरी नहीं देगी और इसका ठीकरा महाविकास आघाडी पर फोड़ा जाएगा, यह तय है। इसके चलते विपक्षी दलों ने सवाल उठाया कि जब भाजपा राज्य की सत्ता में थी तब इसका प्रस्ताव क्यों नहीं लाया गया? वाकड में एक जमीन पीएमपीएमएल यानी पुणे महानगर परिवहन महामंडल लि को देने के प्रस्ताव पर यह उपसुझाव पेश किया गया है, जोकि पूर्णतः मूल प्रस्ताव के विसंगत है।