रौबदार राजकुमार बाघ को पिंजरे से तीन साल बाद मिली आजादी

नागपुर, 21 नवंबर तीन साल पहले सीधे शादी के मंडप में घुसकर उत्पात मचाने वाले बाघ को पकड़ कर पिंजरे में डाल दिया गया है।  लेकिन तीन वर्षों के बाद यह इस बाघ ने राहत की सांस ली है।  बेहद रुबाबी राजकुमार इस बाघ को गोरेवाड़ा प्रशासन ने वन्य प्राणी बचाव केंद्र से गोरेवाड़ा प्राणी संग्राहलय में स्थलांतरित कर भारतीय सफारी की दिशा में पहला सफल कदम उठाया है।

गोरेवाड़ा अंतर्राष्ट्रीय प्राणी संग्राहलय में भारतीय सफारी, अफ्रीकन सफारी और नाईट सफारी शुरू किया गया है।  इसका पहला चरण भारतीय सफारी ने पूरा किया है।  इस सफारी को शुरू करने से पहले की सभी प्रक्रिया पूरी होने के बाद केंद्रीय प्राणी संग्राहलय प्राधिकरण को रिपोर्ट भेजा था।  प्राधिकरण की परमिशन के बाद बचाव केंद्र व वन्यप्राणी संग्राहलय के खुले पिंजरे में छोड़ने की प्रक्रिया शुरू की गई है। राजकुमार नामक पांच वर्षीय बाघ को केंद्रीय प्राणी संग्राहलय प्राधिकरण के मार्गदर्शक सिद्धांतों का पालन करते हुए सफलतापूर्वक स्थलांतरित किया गया है।
दिसंबर 2107 में इस बाघ ने भंडारा जिले के तुमसर तालुका में एक शादी समारोह में प्रवेश कर दहशत पैदा की थी।  इसने किसी को जख्मी नहीं किया लेकिन इससे क्षेत्र में दहशत पैदा हो गया था।  इसके बाद इस बाघ को पकड़ कर गोरेवाड़ा के वन्यप्राणी बचाव केंद्र लाया गया था।  उसके बाद से ही वह यही था।  बाघ का कुल बर्ताव काफी अच्छा है।  पिछले तीन साल में उसके बर्ताव में किसी तरह की हिंसा नज़र नहीं आई।
भारतीय सफारी के तहर पहले चरण में दो बाघ (नर और मादा ) 7 तेंदुए और 6 अस्वल छोड़ा गया है।