: बेटे के सौतेलेपन से वृद्धाश्रम में जीवन बिताने को मजबूर
– बेटे–बहू को अस्थियों को भी हाथ लगाने से किया मना
समाचार ऑनलाइन – हमारे यहाँ माना जाता है कि ‘बेटा, पिता के बुढ़ापे की लाठी होता है.” लेकिन जब यह लाठी ही साथ ना दे, तो बुजुर्ग बाप क्या करें? कुछ ऐसा ही मामला सामने आया है, जिसमें कलयुगी बेटा अपने बूढ़े बाप की लाठी तो दूर, अभी तक एक अच्छा बेटा तक नहीं बन पाया. बेटे के साथ-साथ बहू भी बूढ़े ससुर को बोझ समझने लगी. इसलिए इस दुर्वव्यवहार से दुखी होकर एक बुजुर्ग पत्रकार ने अपनी सारी धन-दौलत और घर सरकार के नाम कर दिया है. इतना ही नहीं अपनी अस्थियों को भी उनके बेटे-बहू को न सौंपने का निवेदन किया है. इस खबर ने सबको चौंका दिया है.
Jajpur, Odisha: 75-year-old Khetramohan Mishra, a former journalist, who lives in Muraripur village of Dasrathpur block, has decided to name the state government as his property’s beneficiary; has also expressed the wish that an old-age home be built over his land pic.twitter.com/drC3qREpuX
— ANI (@ANI) August 2, 2019
क्या है मामला
यह मामला ओडिशा स्थित जाजपुर के दशरथपुर प्रखंड के मुरारीपुर गांव का है. यहाँ के निवासी खेत्रमोहन मिश्रा की उम्र 75 वर्ष हो गई है. उनका कहना है कि इस उम्र में भी उनका बेटा और बहू उनसे बुरा व्यवहार करते हैं.
जमीन पर वृद्धाश्रम बनाने की इच्छा जताई
इस बुजुर्ग पत्रकार ने अपनी संपत्ति सरकार के नाम लिख दी है. साथ ही कहा है कि उनकी जमीन पर वृद्धाश्रम का निर्माण कराया जाए. इसके अलावा खुदने अपना घर-बार, संपत्ति छोड़ कर वृद्धाश्रम में बाकि का जीवन बिताने का फैसला लिया है.
Khetramohan Mishra who has named Odisha Govt as his property's beneficiary: I have taken this decision because of misbehavior of my son and daughter-in-law. I've signed my will. I will spent the rest of my life at old-age home pic.twitter.com/bF7CP0McJ4
— ANI (@ANI) August 2, 2019
जाजपुर के जिलाधिकारी (कलेक्टर) रंजन के दास ने जानकारी की पुष्टि करते हुए बताया कि, बुजुर्ग द्वारा एक जमीन दान में दी गई है. उनकी इच्छा के अनुसार जिला प्रशासन ने उक्त जमीन पर वृद्धाश्रम बनाने निर्णय लिया है.
खुद का घर छोड़ अब रहेंगे ‘वृद्धाश्रम’ में
रंजन के दास ने बताया कि, बुजुर्ग पत्रकार ने वृद्धाश्रम में रहने की इच्छा जाहिर की है, इसलिए प्रशासन द्वारा बुजुर्ग के रहने की व्यवस्था चंडीखोले के नजदीक स्थित एक वृद्धाश्रम में की जा रही है.
बेटा–बहू मेरी अस्थियों को हाथ न लगाए
रंजन ने बताया कि वे अपने बहू-बेटे से बहुत दुखी हैं. इसलिए उन्होंने हमसे निवेदन किया है कि उनके मरने के बाद उनकी अस्थियों को उनके बेटे-बहू को छूने भी न दिया जाए.