जाति प्रमाणपत्र जांच के लिये मांगे इतने रुपये

नागपुर। समाचार ऑनलाइन

भ्रष्टाचार पर लगाम कसने के लिए सत्तादल भाजपा ने कई दावे किये, कई उपाय किये, मगर रिश्वतखोरी कहीं थमने का नाम नहीं ले रही। अब तो रिश्वतखोरों की हिम्मत जनप्रतिनिधियों से घूस मांगने तक पहुंच गई है। मुंबई में शिवसेना के नगरसेवक से जाति प्रमाणपत्र की पड़तालनी (सत्यापन) के लिए 50 लाख रुपए की रिश्वत मांगे जाने का चौंकानेवाला मामला सामने आया है। यह रिश्वत महाराष्ट्र के सामाजिक न्यायमंत्री राजकुमार बडोले के नाम से मांगे जाने का सनसनीखेज खुलासा शिवसेना के विधायक अनिल परब ने विधानपरिषद में किया है। सभापति रामराजे निम्बालकर ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए रिश्वत मांगने वाले तीन अधिकारियों को तत्काल निलंबित करने के आदेश दिये हैं।

महाराष्ट्र अनुसूचित जाती-जमाती विमुक्त जाती-जमाती, इतर मागासवर्गीय, व विशेष मागासवर्गीय विधेयक 2018 सुधार के विधेयक पर हुई चर्चा के दौरान विधायक परब ने इस मामले का खुलासा करते हुए बताया कि, सगुण नाईक को जाति वैधता प्रमाणपत्र देने के लिए सत्यापन समिति की अध्यक्षा चित्रा सुर्यवंशी, सदस्य अरविंद वलवी औऱ अविनाश देवसाटकर इन तीन अधिकारियों ने 50 लाख रुपए की मांग की। यही नहीं हमें भी तबादले के लिए एक करोड़ रुपए देने पड़ते हैं, आप तो मुंबई के नगरसेवक हो, आपके लिए 50 लाख कोई बड़ी बात नहीं, यह भी उन अधिकारियों ने कहा। परब ने दावा किया कि उनके पास इन अधिकारियों के खिलाफ पुख्ता सबूत हैं। इस बारे में हमने मंत्री बड़ोले से शिकायत को थी मगर उन्होंने भी कुछ ठोस कार्रवाई नहीं की। नतीजन नाईक की सदस्यता रद्द कर दी गई। इस मामले की जांच कर दोषियों के खिलाफ मामला दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार करने की मांग की है। शिवसेना की इस मांग का कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस और शेकापा ने भी पुरजोर समर्थन किया। इस पर विधानपरिषद के सभापति ने तीनों अधिकारियों को तत्काल निलंबित करने के आदेश दिये।