समाचार ऑनलाईन – लेखक के निजी विचार के अनुसार यह कथित है की ,भारत में चुनावी माहौल में तपिस का होना लाजमी है लेकिन लगता है विदेशी मीडिया भी इस तपिस में अपने हाथ सेकने में लगी है । टाइम मैगजीन के हालिया कवर पेज चर्चा का विषय बना हुआ है । ये उसकी टेक्टिस हो सकती है । ऐसी हैडलाइन डाली जाए ताकि लोगों का ध्यान इस तरफ जाये। लेकिन ये फिजूल की टेक्टिस ज्यादा नज़र आती है । चुनावी माहौल में किसी एक नेता के विरोध में ऐसीलेख छापना जिसका कोई सिर-पैर न हो माहौल को गर्माने और किसी एक की छवि को अतर्राष्टीय स्तर पर ख़राब करने की कोशिश से ज्यादा कुछ नज़र नहीं आता है । टाइम मैगजीन ने प्रधानमंत्रीनरेंद्र मोदी को लेकर INDIA’S DIVIDER IN CHIEF शीर्षक से एक लेख प्रकाशित किया है ।
दिलचस्प बात ये है कि इस पुरे आर्टिकल में कही भी DIVIDER शब्द का इस्तेमाल नहीं किया गया है, लेकिन फिर भी फ्रंट पेज में हैडलाइन में प्रधानमत्री मोदी को DIVIDERबताने की कोशिश की गई । यह एक साजिश नज़र आती है । क्योकि अगर राइटर ये मानते है कि मोदी DIVIDER है तो उन्हें अपने आर्टिकल से इस बात को तर्कसंगत ढंग सेस्पष्ट करना चाहिए था, लेकिन जब आपके आप ऐसा कुछ हो नहीं और किसी को दोषी बताना हो तो बस शब्दों का सहारा ढूंढा जाता है । इस लेख से साफ है कि शब्दों के जरिये नरेंद्रमोदी की छवि ख़राब करने की कोशिश की गई है ।
आर्टिकल में इन बातों की तरफ इशारा किया गया है कि प्रधानमंत्री मोदी समाज के दो वर्गों के बीच नफरत फ़ैलाने की कोशिश कर रहे है । इस बात के कोई प्रमाण नहीं दिए गएहै, लेकिन हम आपको प्रमाण देते हैं कि यह बात किस हद तक गलत और साजिश के तहत कही गई है । प्रधानमंत्री ने पिछले 5 सालों में अपने हर स्पीच में सबका साथ सबकाविकास की बात ही नहीं की बल्कि ऐसी योजनाएं भी लाई जिसमें किसी के साथ भेदभाव नहीं किया गया ।
उज्जवला योजना की बात करे तो करोड़ों गरीब परिवारों को मुफ्त में गैसके कनेक्शन दिए गए । इसमें किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं किया गया । हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सबने इसका सामान रूप से लाफ उठाया। जन धन योजना के तहत करोड़ोंऐसे लोगों के खाते खोले गए जिनके पास आजतक बैंक अकाउंट नहीं था । क्या कोई बता सकता है कि यह योजना सिर्फ हिन्दुओ के लिए ही था या समाज के किसी खास वर्ग के लिए। जवाब है बिल्कुल नहीं। यह योजना समाज के सभी जाति धर्म के लोगों के लिए है । आयुष्मान भारत योजना जिसमे गरीब परिवारों को 5 लाख तक का हेल्थ बीमा दिया जा रहा है, क्या ये सिर्फ हिन्दुओ के लिए है। स्किल इंडिया क्या इस योजना के तहत मुस्लिम युवाओ को स्किल हासिल करने से रोका गया । बिल्कुल नहीं।
ऐसी तमाम योजना है जिसमे समाज के सभी जाति धर्म को साथ लेकर चला गया है ऐसे में सवाल उठता है कि नरेंद्र मोदी कहा DIVIDER बनने का प्रयास कर रहे हैं । देश मेंभाजपा की सरकार बनने के बाद निश्चित रूप से कुछ लिंचिंग की घटना हुई है, लेकिन क्या प्रधानमंत्री ने हर घटना की निंदा नहीं की । उन्होंने किसी भी ऐसे कृत करने वालो को कभीबचाने का प्रयास किया। जवाब है बिल्कुल नहीं। वो जब भी मौका मिला मंदिर गए, गुरुदारा गए, मस्जिद गए । पंडितों से मिले तो मुस्लिम धर्म गुरुओ से भी मुलाकात की । भाजपामें कई मुस्लिम नेता है। क्या कभी किसी नेता ने बताया कि उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया । उन्हें साइडलाइन में रखा गया ।
आजादी के बाद पहली बार किसी प्रधानमंत्री ने पाकिस्तानी पीएम को अपने शपथ ग्रहण समारोह में बुलाया। अगर उनके मन में किसी धर्म विशेष के लोगों के लिए दुर्भावना होती तोक्या वे ऐसा करते। इसके बावजूद उन्हें मुस्लिम विरोधी बताकर DIVIDER की संज्ञा से नवाजना न केवल उनका अपमान है बल्कि उन मुस्लिमों का भी अपमान है जो खुद ऐसा नहीं मानते हैं ।
किताब, मैगज़ीन बेचने की एक टैक्टिस होती है । ऐसे नेता को या किसी खास को निशाना बनाओ जो पॉपुलर हो रहा हो । मोदी की लोकप्रियता हाल के वर्षों में जिस तेजी से बढ़ी हैउसके बाद से उनका बुरा चाहने वालों की भी कमी नहीं। संभव है कि अंतराष्ट्रीय मैगज़ीन में फ्रंट पेज में मोदी को DIVIDER बताकर बाजार से अधिक कमाई की मंशा काम कररही हो । लेकिन इस आर्टिकल के अलावा अंदर के एक अन्य आर्टिकल में मोदी को आर्थिक रिफॉर्मर भी बताया गया है । इसके बाद कुछ कहने की जरुरत नहीं है कि जो एक आदमीरिफॉर्मर की भूमिका में है वह DIVIDER कैसे हो सकता है । मैगज़ीन खुद अपने ही तर्कों में उलझा नज़र आ रहा है । जब मोदी आर्थिक सुधारक के तौर पर देखे जा रहे हैं तो वोकैसे किसी समाज में DIVIDER की भूमिका में हो सकते है । ये दो चीजें एक-दूसरे के खिलाफ हैं । एक साथ चल ही नहीं सकती है। लेकिन लगता है मैगज़ीन ने लेख छपने से पहले न तो फिलॉसफी के सामान्य नियमों का ही सहारा लिया न ही समाजशास्त्र का ।