स्मारक की ऊंचाई के सियासी विवाद के बीच यहाँ की गई मराठा साम्राज्य का इतिहास बदलने की कोशिश

पिंपरी। पुणे समाचार ऑनलाइन

अरबी समुद्र में छत्रपति शिवाजी महाराज के स्मारक की ऊंचाई कम किये जाने को लेकर विपक्षी दलों ने सत्तादल भाजपा को निशाने पर लिया है। इस पर सियासत शुरू ही है कि पिंपरी चिंचवड़ मनपा की सर्व साधारण सभा में मराठा साम्राज्य के इतिहास को ही बदलने की कोशिश की गई। शुक्रवार को सभागृह में एक चर्चा के दौरान विपक्ष ने सत्तादल भाजपा के दो सिपहसलारों को ‘संताजी- धनाजी’ की उपमा दी। वहीं सत्तादल के नेताओं ने ‘संताजी- धनाजी’ को छत्रपति शिवाजी महाराज के शूरवीर सेनापति बताकर अपनी पीठ थपथपाई।

असल में मराठा साम्राज्य के शूरवीर योद्धाओं के तौर पर संताजी घोरपड़े और धनाजी जाधव का नाम लिया जाता है, वे छत्रपति संभाजी महाराज के बाद मराठा साम्राज्य की कमान संभालने वाले छत्रपति राजाराम के कार्यकाल के थे। इन दोनों ही योद्धाओं ने 17 सालों तक मुगल सम्राट औरंगजेब की बलशाली सेना का सामना किया। मुगल छावनियों पर गनिमी हमले उनकी युद्धनीति का हिस्सा रहे। मुगल सैनिकों में उनके नाम का काफी खौफ था। कोई भी मुगल सेनानी कभी उनसे मुकाबला करने की हिम्मत नहीं जुटा पाया।

आज की सर्व साधारण सभा में सड़कों पर खुदाई हेतु अनुमति देने संबंधी नीति तय करने के प्रस्ताव पर दो घन्टे की मैराथन चर्चा चली। इसमें सर्वदलीय सदस्यों ने प्रशासन को आड़े हाथ लेते हुए बरसात के दिनों में शहर के सड़कों की चलनी समान हुई अवस्था और केबल कंपनियों द्वारा खुदाई में की जानेवाली मनमानी को उजागर किया। इस प्रस्ताव की चर्चा में राष्ट्रवादी कांग्रेस के वरिष्ठ नगरसेवक भाऊसाहब भोईर ने प्रस्ताव और उपप्रस्ताव पेश करने में सबमें आगे रहनेवाले सत्तादल भाजपा के विलास मड़ेगीरी और नामदेव ढाके को ‘संताजी- धनाजी’ की उपमा देकर तंज कसा।

इस पर भाजपा की वरिष्ठ नगरसेविका सीमा सावले ने राष्ट्रवादी कांग्रेस के सत्ताकाल के ऐसे ही उदाहरण को पेश कर इस तरह की उपमा देने को गलत बताया। जबकि नामदेव ढाके ने ‘संताजी- धनाजी’ को छत्रपति शिवाजी महाराज के सेनापति बताकर खुद अपनी पीठ थपथपाई। यही नहीं खुद सभागृह नेता एकनाथ पवार ने भी ‘संताजी- धनाजी’ को छत्रपति शिवाजी महाराज के कार्यकाल के शूरवीर सेनापति बताकर भाजपा के सदस्यों को मावले करार दिया। सियासी टिका- टिप्पणियों का मुंहतोड़ जवाब देने की फिराक में सत्तादल ने मराठा साम्राज्य के इतिहास को ही बदलने की कोशिश की।