पर्यावरण पर भिड़े दो मुख्यमंत्री, ट्वीटर पर तू-तू, मैं मैं की स्थिति 

नई दिल्ली. ऑनलाइन टीम : गोवा  के मोलेम गांव में रिजर्व फॉरेस्ट है। यह अभयारण्य पश्चिमी घाट में जैव विविधता की रक्षा के लिये बनाया गया था। इसे मूल रूप से मोलेम गेम अभयारण्य के रूप में जाना जाता है किंतु वर्ष 1969 में वन्यजीव अभयारण्य घोषित किये जाने के बाद इसे भगवान महावीर वन्यजीव अभयारण्य नाम दिया गया। इस अभयारण्य के मुख्य क्षेत्र की लगभग 107 वर्ग किमी. भूमि को वर्ष 1978 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था और इसे मोलेम नेशनल पार्क के रूप में जाना जाता है।

इस रिजर्व फॉरेस्ट की कटाई के प्रस्ताव का विरोध हो रहा है। दरअसल  मोलेम गांव में रेलवे लाइन के दोहरीकरण, हाइवे का चौड़ीकरण और एक पावर लाइन का प्रॉजेक्ट है। यह गोवा की सबसे पुरानी वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी, भगवान महावीर वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी के बीच से गुजर रहे हैं। इन प्रॉजेक्ट्स के लिए करीब 170 हेक्टेयर जंगल को नष्ट या डायवर्ट करने की जरूरत होगी। इसी का गांववाले और पर्यावरण संस्थाएं विरोध कर रही हैं। इसी मुद्दे को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक बयान क्या दिया,  गोवा सीएम प्रमोद सावंत बिफर गए। दो टूक कहा-  पहले अपने दिल्ली में प्रदूषण के हालात संभालें, फिर गोवा की चिंता करें। इतना ही नहीं,  दोनों मुख्यमंत्रियों के बीच ट्विटर पर अच्छी-खासी बहस हुई।

केजरीवाल ने मोलेम का मुद्दा छेड़  ट्वीट किया, “यह जानकर खुशी हुई प्रमोद सावंत जी। गोवा के लोग डबल ट्रैकिंग प्रॉजेक्ट का विरोध कर रहे हैं। कृपया उनकी आवाज सुनिए और मोलेम को बचाइए, क्योंकि वे गोवा के फेफड़े हैं। मैं समझता हूं कि केंद्र गोवा पर यह प्रॉजेक्ट लाद रहा है। प्लीज गोवा वासियों के साथ खड़े हों, केंद्र को न कहें और गोवा को कोयला हब होने से बचा लें।” इस पर सांवत ने लिखा,  हमारी सरकार ये सुनिश्चित करेगी कि गोवा प्रदूषण मुक्त रहे। मुझे यकीन है कि दिल्ली के लोग भी अपने खूबसूरत राज्य के लिए यही चाहते होंगे।”

सावंत ने फिर लिखा, “रेलवे ट्रैक्स की डबलिंग राष्ट्रीय अभियान है। मोलेम को कोई खतरा नहीं है और हम यह सुनिश्चित करेंगे कि ऐसा ही रहे। हम गोवा को कोयला हब बनने नहीं देंगे। केंद्र बनाम राज्य के मामले बनाने में आपकी विशेषज्ञता को देखते हुए, हम आपकी सलाह से बचना ही चाहेंगे।”|

केजरीवाल ने लिखा, “आपको मेरी सलाह सुनने की कोई जरूरत नहीं, लेकिन गोवा वालों की बात तो सुनिए। क्या अपने ही राज्य में गोवा वालों की बात की अहमियत नहीं होनी चाहिए? क्या केंद्र का फरमान गोवा वासियों की आवाज से ज्यादा जरूरी है?” तब सावंत ने ‘नमस्ते’ वाला इमोजी लगाते हुए ट्वीट किया, “हमारे पांव और कान मजबूती से जमीन पर हैं। कृपया अपनी केंद्र बनाम राज्य की विभाजनकारी राजनीति बंद कीजिए। हम एक देश हैं!”