सरकार गठन को लेकर आखिर क्या है भाजपा का प्लान? PM मोदी की तारीफ के बाद चर्चा का बाजार गर्म

मुंबई , 19 नवंबर – संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी दवारा राज्यसभा की गई तारीफ और उसी वक़्त दूसरी तरफ मुंबई मनपा में महापौर, उपमहापौर के चुनाव में उम्मीदवार नहीं उतारने के भाजपा के निर्णय और इसके बाद शाम के वक़्त शरद पवार का यह कहना कि सोनिया गांधी के साथ उनकी सरकार गठन को लेकर कोई बातचीत नहीं हुई कई चीजों की तरफ इशारा कर रहा है. ठीक उसी वक़्त भाजपा नेता का ये कहना कि भाजपा के बिना राज्य में स्थिर सरकार नहीं बन सकती है.

आखिर क्या है भाजपा का प्लान 
इन सारे घटनाक्रम को देखते हुए महाराष्ट्र में सरकार गठन के लिए भाजपा का आखिर क्या प्लान है इसे लेकर चर्चा शुरू हो गई है. शिवसेना, कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस का महाशिव आघाडी तैयार है. इन तीनों दलों ने अलग-अलग और एक दूसरे के साथ भी बैठके हो रही है. शिवसेना का मुख्यमंत्री पद हो इसे लेकर भाजपा के साथ शिवसेना का गठबंधन टूट गया. केंद्रीय मंत्री पद से शिवसेना सांसद ने इस्तीफा दिया हैं. इसके बावजूद भाजपा शिवसेना के खिलाफ नहीं बोल रही है.
मुंबई महापौर, उपमहापौर पद के लिए उम्मीदवार खड़े नहीं करने का निर्णय भाजपा ने लिया है. इसके पीछे माना जा रहा है भाजपा शिवसेना को मनाने का प्रयास कर रही है. दूसरी तरफ राष्ट्रवादी कांग्रेस की पॉलिसी को लेकर लगातार संदेह बना हुआ है. ऐसे में राज्यसभा में शीतकालीन सत्र के पहले दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का राष्ट्रवादी कांग्रेस और बीजू जनता दल की प्रशंसा की. उन्होंने कहा कि इन पार्टियों के सांसद कभी भी सभागृह के हॉल में आकर हंगामा नहीं किया। मोदी के भाषण का हर वाक्य कुछ न कुछ इशारा कर रहा था. ऐसे में महाराष्ट्र में सरकार बनाने की प्रक्रिया में राष्ट्रवादी कांग्रेस को  शिवसेना के साथ जाते देखकर प्रधानमंत्री राष्ट्रवादी कांग्रेस की क्यों तारीफ कर रही है इसे लेकर चर्चा शुरू हो गई है.
शरद पवार ने फेंकी गुगली 
शरद पवार ने सोनिया गांधी के साथ मुलाकात के बाद ये कहकर एक गुगली फेंकी है कि सरकार गठन को लेकर कोई बात  नहीं हुई है. केवल न्यूनतम साझा कार्यकर्म पर चर्चा होने की बात कहकर यू टर्न लिया है.
संजय राऊत के बयान ने और उलझाया 
इसके ठीक बाद संजय राऊत ने शरद पवार से मुलाकात की. इसके बाद संजय राऊत ने कहा कि सरकार गठन को लेकर नहीं बल्कि किसानों के मुद्दे पर चर्चा हुई है. इसके बाद से सरकार गठन को लेकर और कई तरह की चर्चा शुरू हो गई है. शिवसेना को समर्थन देने को लेकर कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस का मन हां और ना में अटका है.