किसानों के लिए काम की खबर : फरवरी-मार्च में करें ‘इन’ सब्जियों की बुवाई, अच्छा होगा मुनाफा

पुणे : समाचार ऑनलाइन – किसानों के लिए यह बहुत काम की खबर है। दरअसल इस समय रबी फसल का मौसम चल रहा है। जिसकी वजह से फरवरी-मार्च महीनों में ज्यादा से ज्यादा फसलों की बुवाई का समय शुरू हो जाता है। इस समय बोने पर ये फसलें अच्छी पैदावार देती हैं। इस मौसम में खीरा, ककड़ी, करेला, लौकी, तोरई, पेठा, पालक, फूलगोभी, बैंगन, भिण्‍डी, टमाटर, भिंडी, मिर्च आदि जैसी सब्ज़ियों की बुवाई करनी चाहिए। इस लिए यह अच्छा समय माना जाता है। इसके साथ ही सब्जी की खेती में आमदनी भी अच्छी होती है | जितना मुनाफा परम्परागत खेती से होता है उससे ज्यादा मुनाफा सब्जी की खेती से होगा।

ककड़ी – ककड़ी की बुवाई के लिए फरवरी-मार्च को एक उपयुक्त समय माना जाता है। इसे लगभग हर तरह की ज़मीन में उगाया जा सकता है। भूमि की तैयारी के समय गोबर की खाद डालें व खेत की तीन से चार बार जुताई करके सुहागा लगाएं। ककड़ी की बीजाई 2 मीटर चौड़ी क्यारियों में नाली के किनारों पर करनी चाहिए। पौधे से पौधे का अंतर 60 सेंटीमीटर रखें। एक जगह पर दो – तीन बीज बोएं। बाद में एक स्थान पर एक ही पौधा रखें।

खीरा – खीरे की खेती के लिए खेत में क्यारियां बनाएं। इसकी बुवाई लाइन में ही करें। लाइन से लाइन की दूरी 1.5 मीटर रखें और पौधे से पौधे की दूरी 1 मीटर। बुवाई के बाद 20 से 25 दिन बाद निराई – गुड़ाई करना चाहिए। खेत में सफाई रखें और तापमान बढ़ने पर हर सप्ताह हल्की सिंचाई करें। खेत से खरपतवार हटाते रहें।

लौकी – यह समय लौकी की खेती के लिए अच्छा माना जाता है। इससे दोमट मिट्टी के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। हालांकि इसकी उपज सभी मिट्टी में होती है। लौकी की खेती के लिए एक हेक्टेयर में 4.5 किलोग्राम बीज की ज़रूरत होती है। बीज को खेत में बोने से पहले 24 घंटे पानी में भिगोने के बाद टाट में बांध कर 24 घंटे रखें। लौकी के बीजों के लिए 2.5 से 3.5 मीटर की दूरी पर 50 सेंटीमीटर चौड़ी व 20 से 25 सेंटीमीटर गहरी नालियां बनानी चाहिए। इन नालियों के दोनों किनारे पर गरमी में 60 से 75 सेंटीमीटर के फासले पर बीजों की बुवाई करनी चाहिए। एक जगह पर 2 से 3 बीज 4 सेंटीमीटर की गहराई पर बोएं।

करेला – हल्की दोमट मिट्टी करेले की खेती के लिए अच्छी होती है। करेले की बुवाई दो तरीके से की जाती है – बीज से और पौधे से। करेले की खेती के लिए 2 से 3 बीज 2.5 से 5 मीटर की दूरी पर बोने चाहिए। बीज को बोने से पहले 24 घंटे तक पानी में भिगो लेना चाहिए इससे अंकुरण जल्दी और अच्छा होता है। इससे नदियों के किनारे की ज़मीन करेले की खेती के लिए अच्छा माना जाता है।

पालक – पालक के लिए बलुई दोमट या मटियार मिट्टी अच्छी होती है लेकिन ध्यान रहे अम्लीय ज़मीन में पालक की खेती नहीं होती है। पालक की खेती के लिए एक हेक्टेयर में 25 से 30 किलोग्राम बीज की ज़रूरत होती है। बुवाई के लिए कतार से कतार की दूरी 20 से 25 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 20 सेंटीमीटर रखना चाहिए। पालक के बीज को 2 से 3 सेन्टीमीटर की गहराई पर बोना चाहिए, इससे अधिक गहरी बुवाई नहीं करनी चाहिए।

भिंडी – भिंडी की अगेती किस्म की बुवाई फरवरी से मार्च के बीच करते हैं। इसकी खेती हर तरह की मिट्टी में हो जाती है। भिंडी की खेती के लिए खेत को दो-तीन बार जुताई कर मिट्टी को भुरभुरा कर लेना चाहिए और फिर पाटा चलाकर समतल कर लेना चाहिए। बुवाई कतारों में करनी चाहिए। कतार से कतार दूरी 25-30 सेमी और कतार में पौधे की बीच की दूरी 15-20 सेमी रखनी चाहिए।

बैंगन – इसकी नर्सरी फरवरी में तैयार की जाती है और बुवाई अप्रैल में की जाती है। मिट्टी परीक्षण करने के बाद खेत में एक हेक्टेयर के लिए 4 से 5 ट्रॉली पक्का हुआ गोबर का खाद् बिखेर दे। बैंगन की खेती के लिए दो पौधों और दो कतार के बीच की दूरी 60 सेंटीमीटर होनी ही चाहिए।

मिर्च – मिर्च की खेती कम भूमि में भी अच्छी आमदनी देती है | इस फसल की रोपाई की समय है | आप सभी को इसकी खेती करनी चाहिए क्योंकि मिर्च हरी तथा लाल दोनों को अच्छी कीमत मिलती है |