तकनीक पर काम…आपके साथ अगर सड़क हादसा हुआ, तो एंबुलेंस को सबसे पहले मिलेगी  खबर  

नई दिल्ली . ऑनलाइन टीम : सड़क दुर्घटनाओं के बाद समय पर इलाज नहीं मिल पाने के कारण मरने की संख्या काफी अधिक होती है। इसे देखते हुए केंद्र सरकार एक खास योजना पर काम कर रही है। केंद्रीय परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने उम्मीद जताई है कि उनका मंत्रालय अनेक उपाय अपना रहा है और वर्ष 2025 तक सड़क दुर्घटनाएं और इसके कारण होने वाली मौतों में लगभग 50 प्रतिशत तक कम आ जाएगी।

गडकरी ने कहा है कि प्रतिदिन सड़क दुर्घटनाओं में 415 लोगों की मौत हो जाती है और सड़कों पर लोगों के जीवन की रक्षा सुनिश्चित करने के काम को तेज करने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि देश में अब एक ऐसी तकनीक पर काम चल रहा है, जो सड़क दुर्घटना के समय पुलिस और एंबुलेंस को सबसे पहले खबर पहुंचाए। इस तकनीक को विकसित करने के पीछे का मकसद सड़क दुर्घटना के समय घायल को तुरंत इलाज दिलाना है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय इसके लिए महत्वपूर्ण योजना पर काम कर रहा है। इस व्यवस्था में एंबुलेंस जीपीएस सुविधा से लैस होगी। खास प्रक्रिया के तहत एंबुलेंस, अस्पताल और पुलिस कंट्रोल रूम को एक साथ जोड़ा जाएगा, ऐसा करने से सड़क दुर्घटना में घायल हुए लोगों को तुरंत इलाज मिल जाएगा। इससे राहत बचाव कार्य में भी मदद मिलेगी।

बता दें कि सितंबर 2019 में मोटर व्हीकल एक्ट के नियमों में किए संशोधनों को सख्ती से लागू करने के बाद देश में सड़क दुर्घटनाओं में कमी आई है। मंत्रालय का मानना है कि यातायात नियमों का सख्ती से पालन करने की वजह से ही सड़क दुर्घटनाओं में कमी आई है। हालांकि भारत अभी भी ज्यादा सड़क दुर्घटनाओं वाले देशों की सूची में शामिल है। इसी को खत्म करने के लिए नई योजनाओं पर काम किया जा रहा है।

गडकरी ने कहा कि हम सभी को यह जान लेना जरूरी है कि सड़क दुर्घटनाओं के कारण न केवल जान की क्षति होती है, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था पर भी इसका असर पड़ता है। सड़क हादसा केवल कानून व्यवस्था का मामला भर नहीं है, बल्कि एक सामाजिक समस्या भी है। अगर हमें सड़क हादसों से बचना है, तो हम सभी को यातायात नियमों का पालन करना होगा। साथ ही युवाओं को इस बारे में लगातार आगाह करते रहना होगा।

सूत्रों के अलावा  जल्द ही सड़क दुर्घटनाओं में शिकार हुए लोगों के लिए कैशलेस इलाज की योजना की शुरुआत की जाएगी। इस मामले पर स्वास्थ्य मंत्रालय से बातचीत जारी है। सड़क दुर्घटना को कम करने के लिए मंत्रालय इन दिनों विश्व बैंक की मदद से इंटीग्रेटेड रोड एक्सीडेंट्स प्रोजेक्ट पर भी काम कर रहा है।