योगी ढोंगी हैं, उन्होंने शिवाजी का अपमान किया: शिवसेना  

मुंबई: भाजपा और शिवसेना क्या फिर करीब आएंगे? इस सवाल का जवाब कम से कम मौजूदा वक़्त में तो ‘ना’ ही है। दोनों पार्टियों के नेता जिस तरह एक-दूसरे पर निशाना साध रहे हैं, उससे काफी हद तक यह साफ़ हो गया है कि अगले साल होने वाला लोकसभा चुनाव दोनों पार्टियां अपने दम पर पड़ेंगी। शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के शुक्रवार के संपादकीय में भाजपा पर तीखा हमला बोला और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ढोंगी करार दिया। शिवसेना का कहना है कि  कोंकण स्थानीय स्वराज निवार्चन क्षेत्र की सीट खुद भाजपा ने लड़ी होती तो हम उसे समझ सकते थे लेकिन शिवसेना के खिलाफ इस सीट पर जिस तरह अफजलखानी नजराना बहाल किया गया उसे हम कैसे स्वीकार करते? जिसने शिवसेना प्रमुख को उनके पीठ में उनके जीवित रहते खंजर घोपा उन्हीं हाथों की मेहंदी लगा लगाकर दूल्हा बनाये? घात, विश्वासघात, खंजर घोपना और आदि शब्द योगी और देवेंद्र फडणवीस के मुंह को शोभा नहीं देता है।

योगी ने क्या कहा था?
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को महाराष्ट्र के पालघर में एक चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए शिवसेना पर भाजपा की ‘पीठ में खंजर घोंपने’ का आरोप लगाया था।  उन्होंने कहा था कि जिस तरीके से इस पार्टी ने अपना उम्मीदवार खड़ा कर भाजपा की पीठ पर खंजर घोंपा है उससे मैं कह सकता हूं कि दिवंगत बाल ठाकरे की आत्मा को गहरा दुख पहुंचा होगा।  महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि पालघर लोकसभा सीट से दिवंगत सांसद चिंतामन वांगा के बेटे को उतारकर शिवसेना ने भाजपा के साथ विश्वासघात किया है।

अब क्या कहेगी भाजपा?
संपादकीय में कहा गया है राजनीति में चारों ओर स्वार्थ का मायाजाल फैला हुआ है। शिवसेना का भगवा झंडा इन सबसे अलग है। योगी आदित्यनाथ जैसे लोग महाराष्ट्र में आकर प्रवचन देते हैं, मराठों के लिए छत्रपति शिवाजी क्या हैं यह सिखाते हैं और पैर में खड़ाऊ रूपी चप्पल डालकर शिवाजी को पुष्पमाला अर्पित करते हैं। इस पर भाजपा का क्या कहना है? शिवाजी के इस अपमान को देखकर कब्र का अफजल खान भी खुशी से नाचता होगा।

ये खंजर नहीं तो क्या?
शिवसेना ने सवाल उठाया है कि कोंकण नासिक में एनसीपी को भाजपा ने खुला समर्थन दिया, यह किसकी पीठ में खंजर था? अफजल खान ने शिवाजी के पीठ में ख़ंजर घोपा था, शिवाजी ने सीधा सामने आकर खान की अतड़िया निकाल दी थी। जो शिवाजी को हार अर्पित करने से पहले अपने पैर की चप्पल नहीं निकाल सकते उनसे और क्या उम्मीद की जाय? शिवसेना ने कहा कि पालघर में सौ नंबरी कांग्रेस वाले राजेन्द्र गावित को उम्मीदवारी देना और उनके प्रचार के लिए आकर शिवसेना के खिलाफ बोलने की पीठ में खंजर घोपना नहीं कहें तो क्या कहे?