जियो टीवी के मुताबिक, महमूद ने कहा, एसओपी का पालन नहीं किया जा रहा था जो कि होना चाहिए था। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों ने शिक्षा संस्थानों में तेजी से वायरस संचरण दिखाया।
यह कहते हुए कि बच्चों के स्वास्थ्य को हल्के में नहीं लिया जा सकता है, महमूद ने कहा कि देशभर में लगभग 5 करोड़ छात्र हैं यानी हमारी आबादी का एक-चौथाई हिस्सा। वे वाहक बन सकते हैं, इसलिए स्कूलों को बंद करना आवश्यक है।
महमूद ने बताया, हमने स्कूलों को एक ऑनलाइन तंत्र अपनाने के लिए कहा है।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि जो ऑनलाइन स्कूलिंग प्रक्रिया नहीं अपना सकते, उन्हें गृहकार्य देना चाहिए। उन्होंने कहा कि होमवर्क जमा करने के लिए छात्रों या माता-पिता को सप्ताह में एक बार बुलाया जा सकता है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि 24 दिसंबर तक स्कूल खुले रहेंगे।
महमूद ने कहा कि राष्ट्रीय कमान और संचालन केंद्र (एनसीओसी) की सोमवार को हुई बैठक के बाद निर्णय लिया गया।
दूसरी ओर, सिंध के शिक्षा मंत्री सईद गनी ने कहा कि उन्होंने स्कूलों को पूरी तरह से बंद करने का विरोध किया, क्योंकि उन्हें लगा कि छात्र पाठ्यक्रम पूरा नहीं कर पाएंगे।
उन्होंने कहा कि अधिकारियों ने कोरोनोवायरस के कारण पिछले शैक्षणिक वर्ष में परीक्षा आयोजित नहीं की।
गनी ने जोर दिया कि शॉर्ट सिलेबस के बावजूद, छात्रों को अधिक अवकाश दिए जाने पर वे इसे पूरा नहीं कर पाएंगे।
गनी ने कहा कि पंजाब के शिक्षा मंत्री मुराद रास ने कहा था कि अन्य क्षेत्रों को बंद किया जाना चाहिए, न कि सिर्फ स्कूलों को। रास ने कहा कि यदि बाजारों को खुले रहने की अनुमति दी जाती है तो भी बच्चे जोखिम में रहेंगे।
सिंध के मंत्री ने कहा कि कोरोनोवायरस संक्रमण बढ़ने के कारण अन्य क्षेत्रों को बंद करना संघीय सरकार का विशेषाधिकार है।
–आईएएनएस
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