अन्ना के अनशन को असफल करना चाहती है सरकार!

नई दिल्ली: समाजसेवी अन्ना हज़ारे एक बार फिर अनशन पर है। उन्होंने दिल्ली के उसी रामलीला मैदान में अनशन शुरू कर किया है, जहां सात साल पहले किया था। भ्रष्टाचार के खात्मे के लिए सरकार पर दबाव बनाने के लिए किया गया वह अनशन ज़बरदस्त कामयाब रहा था। उस अनशन ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। क्योंकि उस वक़्त केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी इसलिए भाजपा को रामलीला मैदान पर जुटने वाली भीड़ देखकर अच्छा लगता था। अब वह खुद केंद्र में है इसलिए अन्ना के दिल्ली कूच से पहले ही वो सकते में आ गई थी। सूत्रों की अगर मानें तो अब भी अन्ना के अनशन को असफल बनाने की साजिशें रची जा रही हैं।

क्या है मांग 
अन्ना इस बार लोकपाल की नियुक्ति और किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य और तय आमदनी के लिए सरकार से ऐक्शन प्लान की मांग कर रहे हैं। उन्होंने अनशन शुरू करने से पहले कहा, “मैंने बीते चार सालों में मोदी सरकार को 43 चिट्ठियां लिखीं, लेकिन मुझे किसी का भी उत्तर नहीं मिला, इसलिए मैं अमरण अनशन पर बैठने के लिए बाध्य हो गया हूं।”

रास्ते में रोका  
अन्ना समर्थकों का आरोप है कि मोदी सरकार ने ट्रेनों और बसों को रोका और किसानों के रास्तों में अड़चने पैदा कीं ताकि वो दिल्ली ना पहुंच सकें।  कई किसानों का कहना है कि दिल्ली पहुंचने के लिए उन्होंने बसों पर लगे बैनर हटा दिए और बिना आवाज़ किए दिल्ली तक सफर तय किया ताकि उन्हें आम यात्री समझ कर रास्ते में रोका ना जाए।

2019 की चिंता  
केंद्र सरकार अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों को लेकर अपनी रणनीति तैयार कर रही है। लोगों को लुभाना भी इस रणनीति का हिस्सा है, लिहाजा वह नहीं चाहती कि अन्ना के अनशन से लोगों का ज्याफा जुड़ाव हो। यदि अन्ना इस बार भी सफल हो जाते हैं, तो उसके खिलाफ माहौल बनेगा, जिसे विरोधी पार्टियाँ हवा दे सकती हैं। इसलिए कहीं न कहीं यह कोशिशें की जा रही हैं कि अन्ना को जल्द से जल्द रामलीला मैदान से वापस रवाना किया जाए।