आखिर विमान का रंग सफ़ेद ही क्यों होता है?

पुणे: पुणे समाचार
आपने कई बार विमान में सफ़र किया होगा या अगर नहीं भी किया है तो उसे उड़ान भरते तो ज़रूर देखा होगा। लेकिन क्या कभी इस बात पर गौर किया है कि अधिकांश विमानों का रंग सफेद ही क्यों होता है? ‘क्या आप जानते हैं’ कॉलम में हम आज आपको विमानों के रंग के साथ ही और कुछ रोचक तथ्य भी बताने जा रहे हैं, जिनसे शायद आप पहले परिचित न हों।

विमान को सफेद रंग का बनाए जाने के पीछे कई महत्वपूर्ण कारण हैं। यदि हम मूल कारण की बात करें तो सफेद रंग का होने की वजह से दरार या तेल रिसाव जैसी खराबियों को आसानी से पहचाना जा सकता है। जबकि किसी दूसरे रंग में इनकी पहचान थोड़ी मुश्किल होगी। दूसरा मुख्य कारण यह है कि सफेद रंग गर्मी को आसानी से रिफ्लेक्ट करता है, जिससे 30 हजार फीट की ऊंचाई पर भी विमान ठंडा बना रहता है। इसके अलावा सफेद रंग का होने की वजह से विमान को आसमान में आसानी से देखा जा सकता है, इससे हादसों की आशंका कम रहती है।

ऐसा क्यों होता है?
विमान के इंटीरियर पर यदि आप गौर करें तो पाएंगे कि इसकी खिड़कियां गोल या घुमावदार होती हैं। दरअसल, ऐसा इसलिए किया गया है कि खिड़कियां हवा के प्रेशर को बर्दाश्त कर सकें। शुरुआती दौर में विमान की खिड़कियां चौकोर हुआ करती थीं और दबाव के चलते वह टूट जाती थीं। खिड़कियां गोल होने से इस पर पड़ने वाला दबाव विभाजित हो जाता है। इससे इनके टूटने की आशंका कम रहती है। एक बात यह भी गौर करने वाली है कि विमान की खिड़कियां ट्रेन या बस की तरह बड़ी क्यों नहीं होतीं? ऐसा इसलिए कि हजारों फीट की ऊंचाई पर दबाव अत्याधिक होता है। खिड़कियां जितनी बड़ी होंगी, उनका कांच टूटने की आशंका इतनी ही ज्यादा रहेगी। इसलिए इनका आकार छोटा रखा जाता है। रही बात कॉकपिट के शीशे की तो वह काफी मजबूत होता है।

शटर का चक्कर?
विमान की लैंडिंग और टेकऑफ के दौरान खिड़कियों के शटर खोले जाते हैं। इसके पीछे कोई तकनीकी वजह नहीं है, ऐसा ऐहतियात के तौर पर किया जाता है। कई मामलों में विमान में सवार यात्रियों की सजगता के चलते हादसों को टाला गया है। इसलिए खिड़कियों को खोला जाता है, ताकि टेकऑफ या लैंडिंग के वक्त यात्री किसी खराबी को नोटिस करते हैं तो उसे वक्त रहते दुरुस्त किया जा सके।