एनईएफटी और आरटीजीएस के बारे में जानते हैं?

पुणे: पुणे समाचार

आप इंटरनेट बैंकिंग इस्तेमाल करते हों या न करते हों, आपने एनईएफटी और आरटीजीएस का नाम तो ज़रूर सुना होगा। बैंकिंग में भाषा में यह बेहद आम प्रणालियां हैं, जिनका इस्तेमाल पैसे ट्रांसफर करने के लिए किया जाता है। इन प्रणालियों के बीच क्या अंतर होता है, क्या आपने कभी जानने का प्रयास किया है? अगर नहीं किया तो चलिए हम आपको बता देते हैं:

हम सबसे पहले जानते हैं कि इस समय देश में कौनसी भुगतान प्रणालियां सर्वाधिक चलन में हैं। मुख्यतौर पर नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर यानी एनईएफटी, रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट यानी आरटीजीएस और इमीडियेट पेमेंट सर्विस यानी आईएमपीएस को भुगतान के लिए उपयोग में लाया जा रहा है।

एनईएफटी:  यह देश की सबसे प्रमुख फंड ट्रांसफर प्रणालियों में से एक है, इसे नवंबर 2005 में शुरू किया गया था। इस विधि से तुरंत ही किसी व्यक्ति के खाते में पैसा ट्रांसफर नहीं किया जा सकता, बल्कि प्रति घंटे के हिसाब से टाइम स्लॉट बंटे होते हैं, जिनके आधार पर इलेक्ट्रॉनिक संदेशों के माध्यम से फंड ट्रांसफर होता है। एनईएफटी का इस्तेमाल छोटी राशि भेजने के लिए किया जाता है, इसलिए यह ज्यादा उपयोग में लाई जाती है। यह सुविधा देश की 30, 000 बैंक शाखाओं में उपलब्ध है। बैंकों में एनईएफटी के माध्यम से पैसा भेजने के लिए सोमवार से शुक्रवार सुबह 9 से शाम 7 बजे तक का समय निर्धारित रहता है। शनिवार को यह सुबह 9 से दोपहर 1 बजे तक हो जाता है।

आरटीजीएस:  एक अनुमान के मुताबिक उच्च मूल्य वाले 95% भुगतान इसी प्रणाली के माध्यम से किए जाते हैं। यह पूरे विश्व में सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाने वाली प्रणाली है। इसमें फंड ट्रांसफर बिना किसी देरी के होता है, पैसा भेजने वाले के बटन दबाते ही वो संबंधित व्यक्ति के खाते में ट्रांसफर हो जाता है। बड़े-बड़े उद्योग घराने आदि इस माध्यम का उपयोग करते हैं। आरटीजीएस सेवा का लाभ उठाने के लिए कम से कम 2 लाख रुपए का ट्रांसफर ज़रूरी है। आरटीजीएस के माध्यम से पैसा भेजने के लिए कोई समयावधि निर्धारित नहीं है, बस बैंक खुला होना चाहिए।

आईएमपीएस:  22 नवंबर 2010 को शुरू की गई इस सेवा के माध्यम से किसी भी खाते में तुरंत पैसा ट्रांसफर किया जा सकता है। मोबाइल फ़ोन पर भी इसका लाभ उठाया जा सकता है। एनईएफटी और आरटीजीएस के विपरीत आईएमपीएस का इस्तेमाल बैंकों की छुट्टियों के दौरान किसी भी समय किया जा सकता है। राष्ट्रीय भुगतान निगम द्वारा इस सेवा का प्रबंधन किया जाता है।