सरकारी डॉक्टर के पद पर कार्यरत सुधाकर ने कोविड रोगियों का इलाज कर रहे चिकित्सा कर्मियों के पास फेस मास्क और पीपीई किट में कमी को लेकर अपनी बात रखी थी। इसके बाद उसी दौरान अप्रैल में उन्हें निलंबित कर दिया गया था। शुक्रवार को उनका निधन हो गया है।
डॉक्टर को पुलिस ने पिछले साल 16 मई को विशाखापत्तनम के अक्कायापलेम में सड़क पर कथित रूप से उपद्रव मचाने के आरोप में गिरफ्तार किया था। कथित तौर पर पुलिसकर्मियों ने उनके साथ बदसलूकी की थी, उन्हें घसीटा गया था और फिर उन्हें जबरदस्ती एक ऑटोरिक्शा में चढ़ाया गया था। इसके बाद उन्हें किंग जॉर्ज अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें कथित तौर पर नशे की हालत में पाया। बाद में उनके मानसिक स्वास्थ्य के इलाज लिए उन्हें सरकारी अस्पताल में रेफर कर दिया गया, जहां वह चिकित्साधीन थे।
बाद में हाईकोर्ट ने मामले में दखल देते हुए केंद्रीय जांच ब्यूरो को पुलिस द्वारा किए गए कथित ज्यादतियों की जांच करने का निर्देश दिया। इस मामले पर हाईकोर्ट के फैसले के आने की उम्मीद जताई जा रही है। सुधाकर के परिवार के सदस्यों का कहना है कि अपने निलंबन को लेकर वह गंभीर अवसाद में थे।
विपक्ष के नेता और टीडीपी सुप्रीमो एन.चंद्रबाबू नायडू ने वाई.एस.सुधाकर की मौत के लिए जगन मोहन रेड्डी की सरकार को जिम्मेदार ठहराया है।
–आईएएनएस
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