क्या सुविधा के नाम पर रेलवे में चल रहा है महाघोटाला?

पुणे: पुणे समाचार
यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए पुणे रेल मंडल ने दो साल पहले तकरीबन तीस लाख की लागत से बायोमेट्रिक मशीनें खरीदी थीं। इन मशीनों को डेक्कन, खड़की, चिंचवड आरक्षण केंद्र में लगाया गया था, लेकिन अफ़सोस की बात यह है कि उनमें से अधिकांश बंद हैं। जबकि देखभाल और मरम्मत के नाम पर हर मशीन पर सालाना 19 हजार रुपए हो रहा है। एडवोकेट आशुतोष रानडे का आरोप है कि बंद मशीनों की मरम्मत के नाम पर रेलवे में महाघोटाला चल रहा है।

ऐसा कोई नियम नहीं 
रानडे ने प्रेस कॉफ्रेंस आयोजित कर बताया कि जो मशीन बंद है, उनके रखरखाव के लिए जनता से पैसे वसूले जा रहे हैं। आरटीआई के जरिए इस महाघोटाला का सच सामने आया है। रानडे ने कहा, “27 नवंबर 2017 को डेक्कन स्थित आरक्षण केंद्र में टिकट रिजर्वेशन कराने गया था, उसके बाद दूसरी टिकट निकालने के लिए वापस कतार में खड़ा हुआ था। लेकिन मुझे यह कहकर टिकट नहीं दिया गया कि अब आपको दूसरी टिकट 2 घंटे बाद ही मिलेगी। इस बारे में जब पूछताछ की गई तो मुझे यह जवाब दिया गया कि एक व्यक्ति को एक ही टिकट मिल सकता है और दूसरा टिकट दो घंटे बाद मिलेगा। जबकि इस तरह का कोई भी नियम नहीं है”।

राष्ट्रपति को लिखा पत्र
रानडे ने कहा, “मुझे टिकट नहीं दिया गया, इस बारे में मैंने राष्ट्रपति, रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष, मध्य रेलवे के महाप्रबंधक से लिखित रूप में शिकायत की है। रेलवे प्रवासी ग्रुप की अध्यक्षा हर्षा शाह ने कहा कि पुणे विभाग में रोजाना तीस निरीक्षण किए जाते हैं, डेक्कन स्थित आरक्षण केंद्र में बायोमेट्रिक मशीन बंद पड़ी हुई है,  वरिष्ठ अधिकारियों को क्या इसका पता नहीं है? ये मशीनें शो-पीस क्यों बनी हुईं हैं, इसकी जांच होनी जरूरी है।