रांची, 30 जनवरी (आईएएनएस)| झारखंड की सत्ता में एक बार फिर से संथाल परगना का दबदबा बन रहा है। झारखंड के अलग राज्य बनने के बाद से अब तक देखा जाए तो संथाल परगना के हाथों में ही सत्ता की कुंजी रहती है और इसीलिए माना जाता है कि सत्ता में उसका दबदबा भी बना रहता है।
झारखंड में पिछले वर्ष 29 दिसंबर को बनी हेमंत सोरेन सरकार में भी संथाल परगना का दबदबा बना हुआ है। झारखंड विधानसभा चुनाव में कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) गंठबंधन को संथाल परगना से शानदार जीत मिली थी तो सत्ता में उसे उसी अनुपात में हिस्सेदारी भी मिली है।
हेमंत सरकार में मुख्यमंत्री के अलावा तीन मंत्री संथाल परगना क्षेत्र से ही आते हैं। पूर्ववर्ती रघुवर दास मंत्रिमंडल में भी संथाल परगना क्षेत्र से तीन मंत्री थे। झारखंड की सत्ता तक पहुंचने के लिए संथाल परगना क्षेत्र को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता रहा है। माना जाता है कि इस क्षेत्र के लोग जिस पार्टी के पक्ष में होंगे वही झारखंड पर राज करेगी।
इस चुनाव में भाजपा की नजर भी संथाल परगना पर थी, परंतु उसे आशातीत सफलता नहीं मिल सकी। संथाल परगना की 18 सीटों में से भाजपा चार सीटों पर ही जीत दर्ज कर सकी। पिछले विधानसभा चुनाव में यहां से भाजपा और झामुमो की बराबरी की दावेदारी थी।
हेमंत सोरेन सरकार में संथाल परगना को सोशल इंजीनियरिंग के जरिए भी झामुमो के रणनीतिकारों ने साधने की कोशिश की है। हेमंत ने संथाल परगना क्षेत्र से जहां कांग्रेस के पाकुड़ क्षेत्र से विधायक आलमगीर आलम को मंत्री बनाया है, वहीं झामुमो ने मधुपुर क्षेत्र से विधायक हाजी हुसैन अंसारी को मंत्री पद से नवाजकर अल्पसंख्यकों में अपनी पैठ बनाने की कोशिश की है।
इसी तरह जरमुंडी क्षेत्र से आने वाले ब्राह्मण विधायक बादल पत्रलेख को भी मंत्रिमंडल में शामिल कर सामाजिक संतुलन बनाने की कोशिश की गई है। हेमंत सोरेन खुद बरहेट क्षेत्र से विधानसभा में नेतृत्व कर रहे हैं।
वैसे, हेमंत ने मंत्रिमंडल के जरिए जातीय समीकरण साधने की कोशिश जरूर की है। अनुसूचित जनजाति से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के अलावा तीन चेहरे रामेश्वर उरांव, जोबा मांझी और चंपई सोरेन हैं वहीं, अल्पसंख्यक कोटे से आलमगीर आलम और हाजी हुसैन को मौका मिला है। ब्राह्मण कोटे से बादल पत्रलेख और मिथिलेश ठाकुर को मंत्रिमंडल में जगह दी गई है, जबकि कुर्मी समुदाय से जगन्नाथ महतो, अनुसूचित जाति (एससी) से सत्यानंद भोक्ता और वैश्य समाज से बन्ना गुप्ता को शामिल किया गया है। एक मंत्रिपद को फिलहाल रिक्त रखा गया है। झारखंड में मुख्यमंत्री सहित 12 विधायकों को मंत्री बनाया जा सकता है।
विधानसभा अध्यक्ष रविंद्र नाथ महतो भी नाला विधानसभा क्षेत्र के विधायक हैं। दीगर बात है कि संथाल को साधने में मंत्रिमंडल में कई क्षेत्र में नाखुशी भी पनपी है, जो झारखंड सरकार के लिए सही संकेत नहीं है। इस बीच संथाल परगना क्षेत्र में भी मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर विरोध के स्वर भी उठ रहे हैं।