जय (हाथी) भिखारियों के चंगुल में फंसा था। वे भीख मांगने में जय का इस्तेमाल करते थे। इसलिए वह गांवों से लेकर कस्बों तक नुकीली जंजीरों में जकड़े रहने को मजबूर था।
आखिरकार राजस्थान वन विभाग ने अपराधियों को पकड़ा और अपराधियों से जय को छुड़ाने का फैसला किया गया। इस बेजुबान की कठिनाइयों भरी जिंदगी खत्म हुई और अब जीवन का एक नया अध्याय शुरू हो गया।
हाथी को लंबे समय तक चिकित्सकीय उपचार और देखभाल के लिए वन्यजीव एसओएस को सौंप दिया गया है, क्योंकि नुकीले जंजीर के कारण उसके पैरों में घाव हो गया था, जिससे हुआ गंभीर संक्रमण उसके जीवन के लिए खतरनाक था। पुराने घाव और संक्रमण की तत्काल चिकित्सा की जरूरत थी।
पशु प्रेमियों के लिए यह वास्तव में चौंकाने वाला था कि जय नाम के हाथी को पंजाब, दिल्ली, मध्य प्रदेश और अंत में राजस्थान में हजारों मील चलने के लिए मजबूर किया गया था।
सालों से उपेक्षित दर्दनाक संक्रमित घावों से उसकी स्वास्थ्य स्थिति बुरी तरह प्रभावित हुई थी।
हाथी को राजस्थान और उत्तर प्रदेश के मुख्य वन्यजीव वार्डन से लिखित अनुमति के बाद विशेष रूप से डिजाइन किए गए हाथी एम्बुलेंस में ले जाया जा सकता है, ताकि पशु को चिकित्सीय सुविधा दी जा सके।
मथुरा के डिविजनल फॉरोस्ट ऑफिसर रघुनाथ मिश्रा ने कहा, राजस्थान वन विभाग ने इस हाथी को चिकित्सा देखभाल के लिए वन्यजीव एसओएस एलिफेंट हॉस्पिटल और उत्तर प्रदेश वन विभाग को भेजने का अनुरोध किया, ताकि हाथी चिकित्सा उपचार प्राप्त कर सके।
झालावाड़ के आईएफएस डिप्टी कंजर्वेटर ऑफ फॉरेस्ट हेमंत सिंह ने कहा, मैं गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित नर हाथी को उपचार प्रदान करने के लिए समर्पित प्रयासों के लिए वन्यजीव एसओएस में टीम को धन्यवाद देना चाहूंगा।
वाइल्डलाइफ एसओएस की सह-संस्थापक और सचिव गीता शेषमणि ने कहा, नुकीली जंजीरों का उपयोग अवैध है। जब खींचा जाता है, तो स्पाइक्स मांस को फाड़ देते हैं और हाथी के लिए बहुत दर्द पैदा करते हैं और इस तरह दर्द को भय के रूप में उपयोग करके उन्हें नियंत्रित किया जाता है। घाव अक्सर ठीक नहीं होते हैं और समय के साथ संक्रमित और गैंग्रीन का रूप ले सकते हैं।
मथुरा में वन्यजीव एसओएस एलिफेंट हॉस्पिटल नवंबर 2018 में उत्तर प्रदेश वन विभाग के समर्थन से स्थापित किया गया था और पूरे भारत में घायल, बीमार हाथियों के लिए विशेष चिकित्सा उपचार प्रदान किया जाता है।
–आईएएनएस
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