पंजाब में ब्राह्मण बोर्ड बनने के बाद उप्र के ब्राह्मण वोट पर है कांग्रेस की नजर

नई दिल्ली, 2 अप्रैल (आईएएनएस)। पंजाब सरकार द्वारा राज्य में ब्राह्मणों के कल्याण के लिए एक बोर्ड गठित करने के बाद अब कांग्रेस इसे उत्तर प्रदेश में भुनाने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस के ब्राह्मण नेता इस मुद्दे को उठा रहे हैं, क्योंकि उनका मानना है कि इससे उन्हें उत्तर प्रदेश में राजनीतिक फायदा मिल सकता है।

उप्र में ब्राह्मण चेतना परिषद के तहत ब्राह्मण आंदोलन का नेतृत्व करने वाले कांग्रेस नेता और पश्चिम बंगाल के प्रभारी जितिन प्रसाद ने पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को इसके लिए धन्यवाद देते हुए पत्र लिखा है। उन्होंने लिखा है कि ब्राह्मण समुदाय इससे खुश है और वह पंजाब के मुख्यमंत्री का ऋणी रहेगा।

बता दें कि पंजाब सरकार ने 23 मार्च को ब्राह्मण समुदाय की जरूरतों और समस्याओं को पहचानने के लिए 2 साल की अवधि के लिए बोर्ड गठित किया है। वहीं उप्र में ब्राह्मणों को पार्टी की ओर आकर्षित करने के कांग्रेस के पास अन्य तरीके भी हैं। वहां पार्टी के नेताओं का कहना है कि कांग्रेस ब्राह्मणों की परवाह करने वाली पार्टी है।

प्रसाद कहते हैं, 1989 में कांग्रेस के शासनकाल में राज्य में इस समुदाय से मुख्यमंत्री बना था। तब से अभी तक सभी दलों को सरकार बनाने का मौका मिला लेकिन किसी ने भी ब्राह्मण को मुख्यमंत्री नहीं बनाया।

राज्य में भाजपा के उदय से पहले ब्राह्मण कांग्रेस को ही वोट दे रहे थे, लेकिन हिंदुत्व के उदय के साथ उनमें से अधिकतर कांग्रेस छोड़कर भगवा के साथ चले गए। केवल 2007 में उन्होंने बसपा को वोट दिया, क्योंकि इसके नेता सतीश चंद्र मिश्रा पार्टी को सत्ता में पहुंचाने के लिए ब्राह्मण और दलितों को एकजुट करने में कामयाब रहे थे। लेकिन बसपा ब्राह्मणों पर अपनी पकड़ नहीं बना सकी और वे फिर से भाजपा के हाथों में चले गए।

इन स्थितियों को लेकर एक विश्लेषक का कहना है कि भाजपा एक विशेष समुदाय को खुश करने की बजाय हिंदुत्व वोट बैंक में ज्यादा दिलचस्पी ले रही है। वहीं 1989 तक राज्य में शासन करने वाली कांग्रेस के प्रमुख वोट बैंक रहे ब्राह्मण, दलित और मुस्लिम अब पार्टी को छोड़कर 3 दिशाओं में चले गए हैं।

1989 में एनडी तिवारी के नेतृत्व में राज्य में कांग्रेस की आखिरी सरकार थी और राज्य को आखिरी ब्राह्मण मुख्यमंत्री मिले थे। इसके बाद से भाजपा ने कई बार राज्य की सत्ता संभाली, बसपा और सपा ने भी सरकार बनाई लेकिन इन सभी के शासन में कोई भी ब्राह्मण शीर्ष पद तक नहीं पहुंच सका।

–आईएएनएस

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