पूर्व मिडफील्डर फोर्टुनाटो 1962 में जकार्ता में हुए एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली टीम का भी हिस्सा रह चुके हैं। उन्होंने अपना अंतिम मैच जकार्ता में दक्षिण कोरिया के खिलाफ खेला था, जिसमें उन्होंने जरनैल सिंह के गोल में अपना सहयोग दिया था।
गोवा के कोलवले में 1937 में जन्मे फोर्टुनाटो छह साल की उम्र में अपने परिवार के साथ मुंबई चले गए थे। वहां उन्होंने महाराष्ट्र का प्रतिनिधित्व किया और संतोष ट्रॉफी में राज्य की टीम की कप्तानी भी की और मुंबई में वेस्टर्न रेलवे और टाटा फुटबॉल क्लब के लिए भी खेले। बाद में उन्होंने गोयन फुटबॉल के दिग्गज सालगांवकर का भी प्रतिनिधित्व किया। इसके बाद उन्होंने 1960 में रोम ओलंपिक में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पदार्पण किया था।
भारतीय फुटबाल टीम के लिए 50 अंतर्राष्ट्रीय मैच खेलने वाले फोर्टुनाटो 1966 में अपना घुटना चोटिल करा बैठे थे और इसके कारण वह करियर छोटा रहा।
फुटबॉल से संन्यास लेने के बाद फोर्टुनाटो ने टाटा समूह में जनसंपर्क में एक वरिष्ठ प्रबंधक के रूप में कंपनी को अपनी सेवाएं दी। इसके बाद वह 1999 में वहां से रिटरयर हो गए और बाद में वापस गोवा चले गए।
–आईएएनएस
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