प्रमोशन के प्रस्ताव में ‘डील’ का आरोप; मुख्यमंत्री से की जांच की मांग

पिंपरी। पुणे समाचार ऑनलाइन
हालिया सम्पन्न हुई पिम्परी चिंचवड़ मनपा की सर्व साधारण सभा मे मुख्य स्वास्थ्य व चिकिसीय अधिकारी पद के प्रमोशन के प्रस्ताव नौ उप अभियंताओं को कार्यकारी अभियंता पद पर प्रमोशन देने के उपसुझाव के साथ पारित किया गया। इस प्रस्ताव में बड़ी ‘डील’ होने का आरोप लगाते हुए सामाजिक कार्यकर्ता व पूर्व नगरसेवक मारुति भापकर ने मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस से शिकायत की है और इस पूरे मामले की जांच की मांग की है।

बीते छः साल से जारी पिम्परी चिंचवड़ मनपा के मुख्य स्वास्थ्य व चिकिसीय अधिकारी पद के प्रमोशन का मसला मंगलवार को पुनः गहराया। सर्व साधारण सभा में इस प्रमोशन के प्रस्ताव पर सत्ताधारी भाजपा और विपक्षी दल राष्ट्रवादी कांग्रेस के बीच जमकर तकरार हुई। इतना ही नहीं भूतपूर्व महापौर मंगला कदम और मौजूदा महापौर नितिन कालजे के बीच जोरदार बहस छिड़ी, हांलाकि यह प्रस्ताव हंगामे से पूर्व ही मंजूर घोषित किया गया। इस प्रस्ताव पर सत्ताधारी दल ने 9 उप अभियन्ताओं को कार्यकारी अभियंता का प्रमोशन देने का उपसुझाव भी मंजूर किया गया। विपक्षी दल ने इस फैसले का जमकर विरोध किया है, वहीं पूर्व नगरसेवक मारुति भापकर ने इस प्रस्ताव के पारित करने के लिए बड़ी ‘डील’ का आरोप लगाया है और इसकी उच्च स्तरीय जांच की मांग मुख्यमंत्री से की है।

2012 में डॉ राजशेखर अय्यर मुख्य स्वास्थ्य व चिकिसीय अधिकारी पद से रिटायर हुए। इस पद के लिए वरिष्ठता और शैक्षिक योग्यता के आधार पर डॉ पवन सालवे एकमात्र अधिकारी थे। हाँलाकि तत्कालीन सत्ताधारी राष्ट्रवादी कांग्रेस ने उन्हें दूर रखते हुए डॉ अनिल रॉय के प्रमोशन के प्रस्ताव पारित किया और उन्हें पदभार भी दिया गया। वहीं डॉ. सालवी को अतिरिक्त मुख्य स्वास्थ्य व चिकिसीय अधिकारी पद सौंपा गया। यहीं से दोनों डॉक्टरों के बीच प्रमोशन को लेकर कोर्ट कचहरी जारी है। इस प्रमोशन पर अदालती रोक आदेश रहने के बावजूद प्रस्ताव पारित किए जाने को लेकर सत्ताधारी भाजपा मुश्किलों में घिर गया है। भापकर का कहना है कि जब विधि समिति में डॉ सालवी को प्रमोशन का प्रस्ताव पारित कियक गया तब खुद डॉ रॉय ने इसमें आर्थिक लेनदेन का आरोप लगाया था। साथ ही उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। अदालती रोक के बावजूद यह प्रस्ताव पारित किया गया और 9 उप अभियन्ताओं को कार्यकारी अभियंता का प्रमोशन देने का फैसला भी उपसुझाव के जरिए किया गया। जबकि अभियंता संवर्ग में डिग्री और डिप्लोमा का विवाद अदालत तक जा पहुंचा है। सके पीछे बड़ी ‘डील’ का आरोप लगाया जा रहा है।