फिर हुई देश के कई शहरों में नोटबंदी जैसी हाल !

नई दिल्ली: देश में एक बार फिर नोटबंदी जैसे हालात नजर आ रहे हैं। कुछ राज्यों और कई शहरों में एटीएम से कैश नहीं निकल रहा है। दिल्ली में भी कुछ एटीएम में ऐसी ही स्थिति बनी हुई है। कई स्थानों पर तो ऐसा हो रहा है कि मोबाइल पर निकासी का मैसेज तक आ रहा है और पैसे निकल नहीं रहे हैं। इतना ही नहीं ईमेल के जरिए भी संदेश जा रहा है लेकिन पैसे नहीं निकले हैं। कुछ जगह एटीएम में निकासी पर कैश निकासी की सीमा तय कर दी गई है। इधर वित्त राज्यमंत्री का कहना है कि कैश की कोई किल्लत नही हैं, ये अलग बात है कि कहीं कम है तो कहीं ज़्यादा है। उन्होंने कहा कि 2-3 दिन में सब ठीक हो जाएगा।

राज्यों और कई शहरों में एटीएम में कैश नहीं

उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश से लेकर गुजरात तक के कई शहरों में एटीएम से नकदी नहीं मिल रही है। कहा जा रहा है कि बैंकों में बढ़ते एनपीए ने बैंकिंग प्रणाली को हिला कर रख दिया है। बैंकों की साख पर सवाल खड़ा हो गया है। इन्हें उबारने के लिए खातों में जमा रकम के इस्तेमाल की अटकलों ने ग्राहकों को डरा दिया है। ऐसे में पैसा निकालने की प्रवृत्ति एकाएक बढ़ गई है और एटीएम पर दबाव चार गुना तक बढ़ गया है।

कैश संकट गहरा

उत्तर बिहार के ज्यादातर बैंकों में नकदी नहीं होने से शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में एटीएम व बैंक शाखाओं में रुपये के लिए हाहाकार मचा है। बिहार के मुजफ्फरपुर के बैंकों के करेंसी चेस्टों से समस्तीपुर, दरभंगा, गोपालगंज, सारण, सीवान, पूर्वी व पशिचमी चंपारण को नकदी दी जाती है। पिछले डेढ़ माह से इन जिलों में कैश की आपूर्ति नहीं हो रही है। इस कारण यहां भी कैश संकट गहरा गया है।

दो हजार के नोटों को छापना बंद

पिछले साल मई में दो हजार के नोटों को छापना बंद कर दिया गया था। इसकी जगह पांच सौ और दो सौ रुपये के नोटों को लाया गया। इससे एटीएम में डाले जा रहे नोटों की वैल्यू कम हो रही है।अगर दो हजार के नोटों से एटीएम को भरा जाए तो 60 लाख रुपये तक आ जाते हैं। पांच सौ और सौ के नोटों से ये क्षमता महज 15 से 20 लाख रुपये रह गई है।

इसके अलावा समस्या का एक कारण यह भी है कि 200 के नोट के लिए एटीएम तैयार नहीं हैं। अभी तक महज 30 फीसदी एटीएम ही 200 रुपये को लेकर कैलीब्रेट हो सके हैं। यानी 70 फीसदी एटीएम 200 का नोट देने में सक्षम ही नहीं हैं। इतना ही नहीं आरबीआई की रैंडम जांच में पाया गया है कि करीब 30 फीसदी एटीएम औसतन हर समय खराब रहते हैं।