‘भारत में पीड़ितों के लिए अनिवार्य प्रतिरक्षा अत्यावश्यक’

सोनीपत (हरियाणा), 23 अक्टूबर (आईएएनएस)| दक्षिण एशिया मानवाधिकार प्रलेखन केंद्र (एसएएचआरडीसी) के कार्यकारी निदेशक रवि नायर ने बुधवार को भारत में अपराध के पीड़ितों और उनके अनुभवों के मनोवैज्ञानिक प्रभावों के अध्ययन पर विचार साझा किए। नायर ने 21 व 22 अक्टूबर को सोनीपत स्थित जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी में विक्टिम असिस्टेंस विषय पर आयोजित आठवें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान अपने विचार रखे।

इस दौरान उन्होंने कहा कि देश में पीड़ितों की सहायता व सुविधा के लिए तत्काल मुआवजे और पर्याप्त अधिकारों के कार्यान्वयन की अनिवार्य रूप से आवश्यकता है।

नायर ने देश में पीड़ितों को राहत प्रदान करने के लिए बेहतर तरीके विकसित करने का आह्वान किया।

नायर ने कहा, “हमें देश में पीड़ितों की सहायता के लिए अनिवार्य मुआवजा और अधिकारों को लागू करने के लिए इंडोनेशिया से सीखने की आवश्यकता है।”

इस दो दिवसीय सम्मेलन में विभिन्न मुद्दों पर विचार साझा किए गए। इस दौरान पीड़ितों की सहायता और उनके अधिकार, आपराधिक न्याय प्रणाली, पारिवारिक हिंसा, लिंगभेद, गैर सरकारी संगठनों की भूमिका, महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हिंसा, मीडिया और मानव तस्करी जैसे अन्य कई मुद्दों पर बड़े पैमाने पर विचार-विमर्श किया गया।

जीआईबीएस के प्रधान निदेशक प्रोफेसर संजीव पी. साहनी ने एक बयान में कहा, “हम हर साल इस सम्मेलन का आयोजन करते हैं और इसके आठवें संस्करण तक पहुंच गए हैं। हमने इस वर्ष इस तरह से रुचि बढ़ते हुए देखी है, जो पहले नहीं देखी गई है। 550 से अधिक पंजीकरण और प्रस्तुति के लिए लगभग 250 सारांश प्रस्तुत किए गए हैं।”

साहनी ने जेआईबीएस द्वारा विक्टिम असिस्टेंस पर संयुक्त कार्यशालाओं का भी प्रस्ताव रखा, जहां छात्र आपराधिक न्याय प्रणाली से संबंधित अन्य प्रतिनिधियों के साथ भाग ले सकते हैं।

सम्मेलन में विभिन्न देशों के अलग-अलग विश्वविद्यालयों से 100 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया।