मुंबई में कामकाजी मतदाताओं को पकड़ना उम्मीदवारों के लिए चुनौती

मुबई, 19 अप्रैल (आईएएनएस)| मुंबई, ठाणे, पालघर और रायगढ़ लोकसभा क्षेत्रों के प्रत्याशियों के लिए मुंबई की लोकल ट्रेनों और बेस्ट की बसों से सफर करने वाले कामकाजी मतदाताओं से संपर्क साधना टेढ़ी खीर बन गई है, जबकि नियमित सफर करने वाले ये मतदाता उनका मुख्य बोट बैंक हैं।

जैसा कि सबको मालूम है कि मुंबई की दो-तिहाई आबादी में ऑफिस गोअर्स (रोजाना दफ्तर जाने वाले), श्रमिक और छात्र हैं। रोजाना करीब 85 लाख यात्री उपनगरीय ट्रेनों से सफर करते हैं, जबकि बेस्ट, और राज्य परिवहन की बसों, टैक्सी, ऑटोरिक्शा और निजी वाहनों से सफर करने वालों की आबादी करीब 20 लाख है।

उपनगरीय इलाकों से दक्षिण या दक्षिण मध्य मुंबई स्थित कार्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों तक का सफर रोज लोकल ट्रेनों से तय करने वाले मुंबई के किंग कहलाते हैं, जिनसे संपर्क साधना लोकसभा चुनाव में उतरे उम्मीदवारों के लिए एक बड़ी चुनौती है।

मीरा रोड से आने वाली किरण एस. वी. (45) कहती हैं, “मुझे नहीं मालूम मेरे क्षेत्र से कौन-कौन उम्मीदवार हैं। मैं किसी राजनीतिक दलों की रैलियों में नहीं गई हूं, लेकिन कछ पोस्टर और बैनर देखे हैं। मैं रोज 10-12 घंटे घर से बाहर रहती हूं।”

प्रमुख कॉरपोरेट बिजनेस पार्क की लीगल टीम की सदस्य किरण रोज मुंबई दक्षिण मध्य संसदीय क्षेत्र स्थित महालक्ष्मी जाती हैं, लेकिन वह ठाणे लोकसभा क्षेत्र की पंजीकृत मतदाता हैं, जहां से शिवसेना के राजन बी. विचारे और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के आनंद परांजपे उम्मीदवार हैं।

ये कामकाजी मतदाता रोज लोकल ट्रेनों से 60-90 मिनट एक तरफ से सफर तय करते हैं।

वेस्टर्न रेलवे सबअर्बन सेक्टर चर्चगेट से दहानू तक 116 किलोमीटर है। सेंट्रल रेलवे सबअर्बन लाइन छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (सीएसएमटी) से कसारा तक 102 किलोमीटर और सीएसएमटी से कर्जत तक 51 किलोमीटर लंबी है। इन लाइनों पर रोज 22 घंटों के दौरान 2,050 ट्रेनों की सेवा है।

पालघर, ठाणे, मुंबई उत्तर, मुंबई उत्तर पूर्व, मुंबई उत्तर पश्चिम और सात अन्य संसदीय क्षेत्र हैं जहां के मतदाता सुबह आठ बजे से ही गायब रहते हैं और 12-14 घंटे बाद ही घर वापस आते हैं।

मुंबई उत्तर जिला कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष और बॉलीवुड अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर के चुनाव अभियान के डायरेक्टर अशोक सुरताले ने कहा, “दिन के समय उम्मीदवार सिर्फ गृहणियों, वरिष्ठ नागरिकों और बच्चों से ही मिल पाते हैं जिससे वे अपनी राय मतदाताओं से जाहिर नहीं कर पाते हैं। वयस्क मतदाता जब घर लौटते हैं तो वे काफी थके होने के कारण चुनावी बैठकों की बजाय आराम करना पसंद करते हैं।”

इसीलिए प्रत्याशियों के चुनावी अभियान के प्रबंधकों ने नियमित सफर करने वाले ज्यादा से ज्यादा मतदाताओं से संपर्क साधने के लिए रेलवे स्टेशनों के बाहर बैठकें और छोटी जनसभाएं व उम्मीदवारों से संवाद आयोजित करने की बात कही है।

मसले की गंभीरता को स्वीकार करते हुए वेस्टर्न रेलवे पैसेंजर्स एसोसिएशन के प्रेसिडेंट अनिल शुक्ला ने सरकार और चुनाव आयोग को एक नया सुझाव दिया है।

शुक्ला ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, “यह मुंबई के लिए अनोखी समस्या है। सरकार और चुनाव आयोग को सभी प्रत्याशियों को एक छोटा रिकॉर्डेड टेप बनाने की अनुमति देनी चाहिए जिसे रेलवे स्टेशनों और ट्रेनों में दिनभर सुनाया जा सकता है। यह सुनियोजित ढंग से होना चाहिए ताकि यात्रियों से संबंधित व आपातकालीन उदघोषणाएं बाधित न हों।”

जोनल रेलवे यूजर्स कंसल्टेटिव कमेटी के सदस्य शैलेश गोयल ने एक कदम आगे बढ़कर कहा कि रेलवे को इससे आकर्षक राजस्व प्राप्त हो सकता है। यह उसी तरह होगा जिस प्रकार की अनुमति चुनाव आयोग द्वारा दूरदर्शन, आकाशवाणी और अन्य निजी ऑडियो-विजुअल चैनलों को दी जाती है।