लेखिका, कवयित्री,सामाजिक कार्यकर्ता और दलित मुक्ति आन्दोलन की सशक्त आवाज़ रजनी तिलक नहीं रहीं

  नई दिल्ली : समाचार एजेंसी

हिन्दी की दुनिया को सावित्री बाई फुले के महत्व से परिचित कराने में उनकी उल्लेखनीय भूमिका

दलित मसलों को लेकर सक्रिय रहीं रजनी तिलक उन चंद चर्चित नामों में हैं जिन्होंने आजीवन समझौता विहीन संघर्ष किया, दलितों के लिए उनका किया संघर्ष रेखांकित किए जाने योग्य है।
दलित लेखक संघ की अध्यक्ष रहीं रजनी तिलक का दिल्ली के सेंट स्टीफंस अस्पताल में कल निधन हो गया। वे सेट स्टीफंस के आईसीयू वार्ड पर वेन्टीलेटर पर भर्ती थीं। उनकी अंत्येष्टि 31 मार्च को सुबह 11.30 बजे निगम बोध घाट पर की गई।
रजनी तिलक सामाजिक—राजनीतिक मसलों के साथ कविताएं भी लिखती थीं। उनकी कविता की किताब ‘अनकही कहानियाँ’ को काफी लोगों ने सराहा था। रजनी की अपनी आत्मकथा ‘अपनी जमीं अपना आसमां’ भी प्रकाशित हुआ था। उन्होंने लेखन को हमेशा ही सामाजिक सक्रियता से जोड़ा। कल, 30/03/2018 की रात को दिल्ली के सेंट स्टीफेंस अस्पताल में उनका निधन हो गया।
हिन्दी को ‘अपनी ज़मीं अपना आसमान’ जैसी आत्मकथा और‘पदचाप’, ‘हवा सी बेचैन युवतियां’, ‘अनकही कहानियां’जैसे कविता-संग्रह देनेवाली रजनी तिलक भारत के उत्पीड़ित तबकों की आंगिक बुद्धिजीवी थीं। दलितों, स्त्रियों और दलित स्त्रियों के रोज़मर्रा के संघर्षों में शामिल रहते हुए अपने उन्हीं अनुभवों को दर्ज करने के लिए वे विभिन्न विधाओं में लेखन करती थीं। बामसेफ, दलित पैंथर की दिल्ली इकाई, अखिल भारतीय आंगनवाड़ी वर्कर एंड हेल्पर यूनियन, आह्वान थिएटर,नेशनल फ़ेडरेशन फ़ॉर दलित वीमेन, नेक्दोर, वर्ल्ड डिग्निटी फ़ोरम, दलित लेखक संघ और राष्ट्रीय दलित महिला आन्दोलन आदि के साथ उनका गहरा जुड़ाव रहा और इनमें से अनेक तो उनके प्रयासों से ही शुरू हुए।उत्पीड़न और अत्याचार से सम्बंधित 50 से अधिक घटनाओं की फैक्ट-फाइंडिंग टीम में शामिल होकर उन्होंने समकालीन इतिहास के दस्तावेज़ीकरण और उसके माध्यम से आन्दोलन को गति देने का काम किया। हिन्दी की दुनिया को सावित्री बाई फुले के महत्व से परिचित कराने में भी उनकी उल्लेखनीय भूमिका रही।