विरोध ने दिखाया असर; सलाहकारों की नियुक्ति पर खुद भाजपा शहराध्यक्ष ने जताया ऐतराज

सलाहकारों की नियुक्ति रदद् करने और 10 साल में हुए खर्च का पेश करने की मांग
पिम्परी: पुणे समाचार ऑनलाइन

मनपा के कामकाज और जनहित के फैसलों को लोगों तक पहुंचाने के नाम पर जनसम्पर्क विभाग को निजी संस्था को सौंपने के फैसले पर सामाजिक संगठनों द्वारा जताए जा रहे विरोध ने असर दिखाना शुरू कर दिया है। खुद सत्ताधारी भाजपा के शहराध्यक्ष व विधायक लक्ष्मण जगताप ने मनपा के हर छोटे मोटे कामों के लिए सलाहकारों की नियुक्ति पर कड़ा ऐतराज जताया है। उन्होंने मनपा के सभी सलाहकारों की नियुक्ति रदद् करने और बीते 10 सालों में सलाहकारों पर किये गए खर्च का ब्यौरा पेश करने की मांग की है।

पिम्परी चिंचवड़ मनपा में बीते कुछ सालों से सलाहकार नियुक्ति का ट्रेंड से बन गया है। चाहे सड़क विकास हो या डामरीकरण, चाहे भवन निर्माण हो या पाइपलाइन, चाहे ख़र्च बढ़ाने की बात हो या फिर बचत की, हर छोटे बड़े कामों के लिए सलाहकार नियुक्त कर लाखों करोड़ो फूंके जा रहे हैं। इससे मनपा पर आर्थिक भार बढ़ने के साथ साथ मनपा अधिकारियों व इंजीनियरों की काबलियत पर भी संदेह उठ रहा है। क्योंकि अगर सभी काम सलाहकार करेंगे तो मनपा के अधिकारी तनख्वाह किस बात की लेते हैं? यह सवाल उठना लाजिमी है।

राष्ट्रवादी कांग्रेस के शासनकाल में सलाहकारों की नियुक्ति हमेशा से विवादों में रही है। सत्ता परिवर्तन के बाद भी इसमें कोई खास बदलाव होता नजर नहीं आ रहा है। अब तो मनपा के कामकाज, जनहित के फैसले, मनपा व सरकारी योजनाओं को लोगों तक पहुंचाने के लिए सोशल मीडिया के नाम पर निजी संस्था की नियुक्ति करने का फैसला लिया गया है। इस पर नागरी हक सुरक्षा समिति ने कड़ी आपत्ति जताई और यह मनपा के जनसंपर्क विभाग को निजी संस्था के हवाले करने का आरोप लगाया है। सलाहकारों की नियुक्ति पर लाखों करोड़ों फूंकने के बाद 25 लाख रुपए खर्च में मनपा विभाग का निजी संस्था को सौंपने की बजाय मनपा के अधिकारियों को घर भेजकर पूरा कामकाज ही सलाहकारों के जरिए चलाने की मांग भी समिति के अध्यक्ष मानव काम्बले और उनके सहयोगियों ने की है।

इन आरोपों को गंभीरता से लेते हुए खुद सत्ताधारी भाजपा के शहराध्यक्ष व विधायक लक्ष्मण जगताप ने सलाहकारों की नियुक्ति पर ऐतराज जताया है। मनपा आयुक्त श्रवण हार्डिकर को एक ज्ञापन सौंप कर उन्होंने मनपा के सभी सलाहकारों की नियुक्ति रदद् कर बीते 10 सालों में उनपर किये गए ख़र्च का ब्यौरा पेश करने की मांग की है। इतना ही नहीं उन्होंने प्रशासन को सलाह दी है कि बेवजह मनपा के खर्च को न बढ़ाएं। मनपा द्वारा आर्किटेक्ट नियुक्ति पर भी भारी खर्च किया जाता है। निजी आर्किटेक्ट नियुक्त करने की बजाय मनपा में ही अलग से आर्किटेक्ट कक्ष शुरू करने और उसमें वेतन पर आर्किटेक्ट नियुक्त करने की सलाह देते हुए जगताप ने दावा किया है कि ऐसा करने से मनपा के खर्च में काफी बचत होगी।