विश्व होम्योपैथी दिवस: अब समझ आने लगा है महत्व

दुनियाभर में 10 अप्रैल को विश्व होम्योपैथी दिवस मनाया जाता है। होम्योपैथी एक ऐसी कारगर दवा है जो धीरे-धीरे रोग को जड़ से समाप्त करती है। हालाँकि शुरुआत में इसे इतना बढ़ावा नहीं मिला जितना मिलना चाहिए थे। परंतु आज लोग होम्योपैथी के गुणों को समझने लगे हैं। केंद्रीय होम्योपैथी परिषद की रिपोर्ट के मुताबिक हर 5वां रोगी होम्योपैथिक इलाज करा रहा है। आपात स्थितियों को छोड़कर करीब 80 फीसदी रोगों के इलाज के लिए होम्योपैथी कारगर है। होम्योपैथी चिकित्सा कम खर्चीली, सुरक्षित, सरल एवं प्रमाणित चिकित्सा पद्धति है।

कौन हैं होम्योपैथी के संस्थापक
होम्योपैथी दिवस होम्योपैथी के संस्थापक जर्मनी के डॉ. क्रिश्चिन फ्रेडरिक सैमुएल हैनीमेन हैं, और उनके जन्मदिन के मौके पर विश्व होम्योपैथी दिवस मनाया जाता है।

क्या करना चाहिए
होम्योपैथी चिकित्सा के साइड इफेक्ट नहीं होते, इसलिए लोगों का विश्वास इस पर बढ़ रहा है। बेशक होम्योपैथी इलाज लंबे समय तक चलता है और असर देर से दिखाता है, लेकिन यह रोग का जड़ से सफाया करता है। होम्योपैथी का असर ठीक से होने के लिए जरूरी है कि डॉक्टर के दिशा-निर्देशों का सही से पालन किया जाए।डॉक्टर जो परहेज बताता है उसका कड़ाई से पालन न करने पर इलाज का कोई असर नहीं होगा। दवा को लेने के आधा घंटा पहले और आधा घंटा बाद तक कुछ खाना-पीना नहीं चाहिए।

कुछ ख़ास बातें
होम्योपैथिक दवा की कोई एक्सपायरी डेट नहीं होती।यदि इन दवाइयों को धूप, धूल, धुंआ, तेज गंध व केमिकल्स से बचाकर रखा जाये तो यह दवा वर्षों तकचलती रहेंगी। इन दवाओं का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता। होम्योपैथी की दवाएं हमेशा ठंड जगहों पर ही रखनी चाहिए। साथ ही इसकी शीशी को खुले में बिल्कुल ना रखें। होम्योपैथी दवाएं फिर वो चाहे लिक्विड फॉर्म में हो या गोलियो में इन्हें हाथ में लेकर कभी ना लें।

होम्योपैथिक दवाएं
सभी पैथियों में दवाइयां मूलतः वही होती हैं, अंतर केवल इनके निर्माण एवं प्रयोग में होता है।  होम्योपैथी विधि में औषधि के स्थूल रूप को इतने सूक्ष्मतम रूप में परिवर्तित कर दिया जाता है कि दवा का स्थूल अंश तो क्या, उसके सूक्ष्म अंश का भी पता नहीं चलता।होम्योपैथी की शक्तिकृत दवा 6 शक्ति के बाद 30, 200, 1000, 10000, 50000 तथा 1 लाख पोटेंसी वाली होती है।

90 देशों में यह चिकित्सा 
भारत सहित दुनिया के 90 देशों में होम्योपैथिक चिकित्सा को अपनाया जा रहा है। होम्योपैथी महामारियों जैसे स्वाइन फ्लू, डेंगू, खसरा, चिकन पॉक्स,माक्स, कॉलरा, मलेरिया, दिमागी बुखार जैसे खतरनाक रोगों से बचाव में कारगर है।