सत्ताधारी भाजपा ने कचरा घोटाले का आरोप किया स्वीकार!

तकरीबन 450 करोड़ का विवादित टेंडर अंततः रद्द; नए से प्रभागवार टेंडर होंगे जारी

पिम्परी। पुणे समाचार

भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते सीएमओ (मुख्यमंत्री कार्यालय) का स्थगिति और पीएमओ (प्रधानमंत्री कार्यालय) के जांच के आदेश से विवादों में घिरा तकरीबन 450 करोड़ रुपये का कचरा ट्रांसपोर्टेशन का टेंडर रद्द कर दिया गया। बुधवार को स्थायी समिति की बैठक में इसका टेंडर रदद् कर नए से मनपा के 8 प्रभागों लिए अलग- अलग टेंडर जारी करने के आदेश दिए गए। तब तक पुरानी ठेकेदार संस्थाओं के ठेके की मियाद बढ़ाने का फैसला किया गया है। इससे यह कहा जा सकता है कि, विवादित टेंडर को रद्द करने का फैसला इस टेंडर में घोटाले के आरोपों को सत्ताधारी भाजपा ने स्वीकार कर लिया है।

नई स्थायी समिति के इस फैसले को पुरानी स्थायी समिति, जिसके कई फैसले लगातार विवादो में घिरे रहे, को दी गई मात के रुप में देखा जा रहा है। क्योंकि कचरा ट्रांसपोर्टेशन के इस टेंडर सम्बन्धी फैसला पुरानी स्थायी समिति का आखिरी व सबसे विवादित फैसला साबित रहा। प्रभागवार कचरा ट्रांसपोर्टेशन के ठेके को शहर के दो हिस्सों में बांट कर दो ठेकेदारों को सौंपने का यह फैसला था, इसके लिए सालाना 56 करोड़ का खर्च मंजूर किया गया और यह पूरा ठेका एक दो नहीं आठ साल की कालावधि के लिए देना तय किया गया था। राष्ट्रवादी कांग्रेस, शिवसेना ने इस फैसले पर कड़ी आपत्ति जताते हुए इसमें बड़े घोटाले का आरोप लगाया।

इतना ही नहीं राष्ट्रवादी ने इस फैसले के खिलाफ सीएमओ और पीएमओ से दरकार लगाने के साथ ही अदालत का दरवाजा खटखटाया। वहीँ खुद सत्ताधारी भाजपा के सांसद अमर साबले ने इसके खिलाफ मुख्यमंत्री से शिकायत की, जिससे यह विवाद और गहरा गया। सीएमओ ने इस टेंडर की अमलबाजी पर स्थगिति आदेश दिए, जिसपर स्थायी समिति की तत्कालीन अध्यक्षा सीमा सावले और सांसद साबले के बीच बयान ‘वॉर’ भी छिड़ा। चंद दिनों पूर्व पीएमओ ने भी इस मामले को गम्भीरता से लेते हुए राज्य सरकार व मनपा प्रशासन को इस मामले की जांच के आदेश दिये। नई स्थायी समिति अस्तित्व में आने के बाद पुरानी समिति के विवादित फैसलों को बदलने की शुरुआत हुई है, जिस कड़ी में कचरा ट्रांसपोर्टेशन का विवादित टेंडर भी रद्द किया गया।

सभागृह नेता ने भी जल्दबाजी की बात को किया स्वीकार

आज स्थायी समिति अध्यक्षा ममता गायकवाड़ की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई सभा में दो हिस्सों में पूरे शहर का कचरा जमा कर मोशी कचरा डिपो में पहुंचाने के विवादित टेंडर को रद्द कर आठों प्रभागवार टेंडर जारी करने के आदेश प्रशासन को दिए गए। तब तक जो ठेकेदार संस्थाएं फिलहाल कचरा संकलन व ट्रांसपोर्टेशन का काम कर रही है, उनके ठेके की कालावधि बढ़ाने क़ा फैसला भी किया गया। इससे टेंडर प्रक्रिया पूरी होने तक शहर में कचरे की समस्या गहन नहीं बन सकेगी, ऐसा स्थायी समिति अध्यक्षा ममता गायकवाड़ व वरिष्ठ नगरसेवक विलास मडेगीरी ने बताया। बहरहाल शिवसेना के गुटनेता राहुल कलाटे और पूर्व नगरसेवक मारुति भापकर ने अपनी राय देते हुए कहा कि, स्थायी समिति के आज के फैसले से उक्त विवादित टेंडर में गोलमाल था, यह बात साबित हो गई है। सभागृह नेता एकनाथ पवार ने अपरोक्ष रूप से कचरा ट्रांसपोर्टेशन के पहले टेंडर में जल्दबाजी की बात स्वीकार करते हुए कहा कि, अदालत के फैसले का इंतजार करने की बजाय पुराने टेंडर को रद्द कर ज्यादा से ज्यादा स्पर्धा होने के लिहाज से आठ क्षेत्रीय कार्यालय वार टेंडर जारी करने के आदेश दिये गए हैं। बरसात से पूर्व नई प्रक्रिया पूरी होने की उम्मीद भी उन्होंने जताई।