सपा वोट बैंक की खेती करने की कोशिश कर रही : सिद्धार्थ नाथ

लखनऊ, 7 दिसंबर (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने किसान आंदोलन को लेकर धरना-प्रदर्शन कर रही समाजवादी पार्टी (सपा) पर तीखा प्रहार किया है। उन्होंने कहा कि जनता की नजरों से गिर चुकी सपा इन दिनों किसान आंदोलन की भूमि पर वोट बैंक की खेती करने की कोशिश कर रही है।

राज्य सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थ नाथ ने सोमवार को कहा कि किसान आंदोलन के समर्थन में यात्रा करने की घोषणा करने वाले सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव जब तक सत्ता में रहे, बॉलीवुड के हीरो-हिरोइनों के नृत्य का आनंद लेते रहे, किसान कभी भी उसकी प्राथमिकता में नहीं रहा। किसानों हितों पर कुठाराघात करने का एक भी अवसर उन्होंने नहीं छोड़ा और आज जबकि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार और प्रदेश की योगी सरकार किसानों की मेहनत की पाई-पाई दिलवाने के लिए लगातार काम कर रही है तो सपा को किसानों की सुध हो आई है।

कैबिनेट मंत्री ने कहा कि किसानों के परम हितैषी बनने का स्वांग रच रहे अखिलेश से यह पूछा जाना चाहिए कि आखिर क्या कारण रहा कि 2016-17 में प्रदेश में मक्के की खरीद नहीं हुई। योगी सरकार ने आने के साथ ही पहला फोकस बकाए के भुगतान पर किया। तीन साल के दौरान योगी सरकार गन्ना किसानों का अब तक 1 लाख 12 हजार करोड़ रुपये से अधिक भुगतान कर चुकी है। यह योगी सरकार की किसान हितों के प्रति प्रतिबद्धता का ही नतीजा है कि अब तक किसानों से 277.29 लाख क्विंटल धान की खरीद की जा चुकी है। यह खरीद पिछले वर्ष से डेढ़गुना से भी अधिक है, पिछली सरकार की तुलना में योगी सरकार ने छहगुना अधिक धान की खरीद सुनिश्चित की है। यही नहीं, प्रदेश में 102 मक्का क्रय केंद्रों से अब तक किसानों से 3 लाख 52 हजार क्विंटल मक्का की खरीद की जा चुकी है।

सरकार के प्रवक्ता ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर निरंतर धान खरीद की समीक्षा की जा रही है। धान और मक्का की खरीद का भुगतान 72 घंटे के अंदर सुनिश्चित किया जा रहा है। धान खरीद में लापरवाही बरतने पर पीसीएफ के अधिकारियों को निलंबित भी किया गया। पिछले तीन सालों में गन्ना किसानों को 1 लाख 10 हजार करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है। वहीं, विभिन्न विपक्षी दल एमएसपी को लेकर भ्रम फैला रहे हैं।

सिद्धार्थ नाथ ने बताया कि अब तक चार करोड़ से अधिक किसानों के पास मृदा कार्ड हैं। कृषि यंत्रीकरण के जरिए श्रम पर होने वाली लागत घटे, इसके लिए सरकार कृषि यंत्रों पर भारी अनुदान दे रही है। यही नहीं, मौजूदा वित्तीय वर्ष में कृषि मशीनरी बैंक और कस्टम हायरिंग सेंटर के जरिए सरकार का लक्ष्य 22000 से अधिक किसान समूहों को 40 हजार से अधिक उन्नत कृषि यंत्र उपलब्ध कराना है। यंत्रीकरण के जरिए कम लागत में अधिक उपज मिलने से किसानों की आय बढ़ जाएगी।

सरकार ने अपने इस तंत्र के जरिए किसानों तक पहुंचने के लिए द मिलियन फार्मर्स स्कूल के नाम से अभिनव प्रयोग शुरू किया। दोनों फसली सीजन की शुरुआत में होने वाले अपने तरह की इस अभिनव योजना को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी सराहा जा चुका है।

उन्होंने कहा कि किसान परंपरागत खेती की जगह बाजार की मांग के अनुसार खेती करें, इसके लिए विविधीकरण और प्रसंस्करण पर भी सरकार का खासा जोर है। किसान को उसकी उपज का वाजिब दाम मिले, इसके लिए सरकार न केवल न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ाया, बल्कि फसलों की खरीद के दायरे और क्रय केंद्रों की संख्या को भी बढ़ाया।

–आईएएनएस

वीकेटी/एसजीके