सुप्रीम कोर्ट ने तोड़फोड़ मामले में केरल सरकार की याचिका खारिज की, मंत्री शिवनकुट्टी का भाग्य अधर में लटका

तिरुवनंतपुरम, 28 जुलाई (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केरल सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें राज्य के शिक्षा मंत्री वी. शिवनकुट्टी सहित माकपा नेताओं के खिलाफ 2015 में राज्य विधानसभा में तोड़फोड़ के मामले वापस लेने की मांग की गई थी। अब निगाहें राज्य के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन पर हैं कि क्या वह उन्हें हटाएंगे या कैबिनेट में बनाए रखेंगे।

केरल कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्ष ने जल्द से जल्द उनके इस्तीफे की मांग की है।

शीर्ष अदालत ने फैसला सुनाया कि सभी आरोपियों को मुकदमे का सामना करना होगा, जिससे शिवनकुट्टी का भाग्य अधर में लटक गया है।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, बुखार से अपने घर पर स्वस्थ हो रहे शिवनकुट्टी ने कहा कि वह शीर्ष अदालत के फैसले को स्वीकार करते हैं और अपने इस्तीफे से इनकार करते हैं।

शिवनकुट्टी ने कहा, अदालत ने केवल केरल सरकार की याचिका को वापस लेने की याचिका पर गौर किया है और ऐसा नहीं हुआ है। हम शीर्ष अदालत के फैसले का पालन करेंगे और निचली अदालत में मुकदमे का सामना करेंगे और अपनी बेगुनाही साबित करेंगे।

मीडिया से बात करते हुए नेता प्रतिपक्ष वी.डी. सतीसन ने कहा कि विपक्ष के अन्य नेताओं के साथ शिवनकुट्टी को जल्द से जल्द पद छोड़ना होगा।

उन्होंने कहा, राज्य मंत्री के लिए मंत्री की कुर्सी पर बैठना बेहद अनैतिक है, जब उन्हें आपराधिक मामले में मुकदमे का सामना करने के लिए कहा गया है। शीर्ष अदालत ने इस मामले में बहुत गंभीर टिप्पणियां की हैं। यह बिल्कुल स्वाभाविक है कि कोई भी विधानसभा के अंदर या बाहर किया गया आपराधिक कृत्य एक अपराध है और इसके लिए कोई विशेषाधिकार नहीं है। शिवनकुट्टी को तुरंत इस्तीफा देना होगा।

तिरुवनंतपुरम के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट और केरल उच्च न्यायालय ने पहले याचिका को खारिज कर दिया था। नतीजतन, केरल सरकार ने शीर्ष अदालत का रुख किया और अपने पक्ष में फैसला लेने में विफल रही।

केरल उच्च न्यायालय ने इस साल 12 मार्च को पारित एक आदेश में यह कहते हुए अपनी मंजूरी देने से इनकार कर दिया था कि निर्वाचित प्रतिनिधियों से सदन की प्रतिष्ठा बनाए रखने या परिणाम भुगतने की उम्मीद की जाती है।

यह तोड़फोड़ 13 मार्च 2015 को हुई थी, जब तत्कालीन राज्य के वित्त मंत्री के.एम. मणि नए वित्तीय वर्ष के लिए राज्य का बजट पेश कर रहे थे।

तत्कालीन माकपा के नेतृत्व वाले विपक्ष ने कड़ा रुख अपनाया था कि मणि को बजट पेश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

जब मणि ने अपना भाषण शुरू किया, तो वामपंथी विधायकों ने स्पीकर की कुर्सी को मंच से बाहर फेंक दिया और उनकी मेज पर इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को भी नुकसान पहुंचाया।

घटना के बाद तत्कालीन स्पीकर एन. सक्थान ने क्राइम ब्रांच पुलिस जांच की मांग की थी।

अन्य आरोपियों की सूची में राज्य के पूर्व मंत्री ई.पी. जयराजन शामिल हैं।

–आईएएनएस

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