सोशल मीडिया की वजह से परिवार ख़तरे में

मुंबई: पुणे समाचार

शिक्षित और अशिक्षित घरों में पति-पत्नी के बीच झगड़े की जड़ हमेशा से ही अलग-अलग रही है। इन दिनों पढ़े-लिखे लोगों में तलाक की वजह सोशल मीडिया बनता दिख रहा है। कॉर्पोरेट ऑफिस में कार्यरत एक उच्चशिक्षित अधिकारी ने अपनी महिला सहकर्मी की मदद करने के लिहाज़ से मोबाइल पर मैसेज किया-फलाँ जगह मिलने आ जाओ, पैसे देता हूँ। यह मैसेज उसकी पत्नी ने देख लिया और संदेह अंतत: तलाक तक जा पहुँचा। बांद्रा की पारिवारिक अदालत में आए इस मामले से सोशल मीडिया के दुष्परिणाम फिर से रेखांकित हो गए। इस अदालत में तलाक के जितने मामले आते हैं उनमें से 50 प्रतिशत मामले सोशल मीडिया की वजह से उपजी संवाद हीनता और अविश्वास के कारण होते हैं।

यूँ तो कहा जाता है कि सोशल मीडिया की वजह से सारी दुनिया पास आ रही है लेकिन परिवारों के सामने इसी से ख़तरा ख़ड़ा हो गया है। पति-पत्नी का लगातार वॉट्स ऐप्प पर बने रहना, फेसबुक पर समय बीताना इससे उनकी आपसी बातचीत ख़त्म होती जा रही है। पारिवारिक अदालत में कुछ दिनों पहले ऐसा ही एक मामला आया।

मुंबई की एक कॉर्पोरेट कंपनी में कार्यरत उच्चशिक्षित अधिकारी की महिला सहकर्मी को रिश्ते की किसी शादी के लिए पैसों की आवश्यकता थी। उस अधिकारी ने सहकर्मी को 50 हज़ार रुपए की सहायता देने के लिए उसे मोबाइल से संदेश भेजा कि अलाँ समय पर फलाँ जगह आ जाओ। अधिकारी की पत्नी के मन में संदेह कुलबुलाया..उसकी सहेली ने उसे भरमाया कि तुम्हारे पति का उससे साथ अनैतिक संबंध होगा तभी पैसे माँग रही है। सहेली की बात से संदेह और पक्का हो गया। नौबत तलाक तक आ पहुँची। अदालत का निर्णय आना अभी शेष है लेकिन इस मामले ने इस बात को फिर से उजागर कर दिया कि एसएमएस, वॉट्स ऐप्प, फेसबुक के बढ़ते उपयोग से पारिवारिक रिश्ते कमज़ोर पड़ रहे हैं।

पारिवारिक अदालत के वकील एडवोकेट साजन ओम्मन के अनुसार सोशल मीडिया की वजह से घर-परिवार बिखर रहे हैं। सोशल मीडिया संपर्क का अच्छा माध्यम हो सकता है लेकिन हमारे देश में इसका 99 प्रतिशत तक दुरुपयोग होता है। कई बार पति या पत्नी के वॉट्स ऐप्प या फेसबुक के संदेशों-लाइक्स से ग़लतफहमियाँ जन्म लेती है जो तलाक तक जाकर रुकती है। पारिवारिक अदालत में पेश होने वाले 50 प्रतिशत तलाक के मामले सोशल मीडिया की वजह से होने वाले गलतफहमियों के चलते ही आते हैं।