बिना सहमति संवेदनशील निजी जानकारी इस्तेमाल करने पर 15 करोड़ का जुर्माना 

नई दिल्ली। समाचार ऑनलाइन
केंद्र सरकार की ओर से डाटा संरक्षण पर गठित जस्टिस बीएन श्रीकृष्ण की अध्यक्षता वाली समिति ने संवेदनशील निजी जानकारी में सेंधमारी करने वालों पर एक करोड़ से 15 करोड़ रुपये तक के जुर्माने की सिफारिश की है। नागरिकों को डाटा वापस लेने का अधिकार और डाटा पोर्टेबिलिटी की सुविधा भी रहेगी। समिति ने डाटा को संपत्ति की तरह नहीं माना है। रिपोर्ट के मुताबिक डाटा के इस्तेमाल को ग्राहक से मंजूरी लेनी होगी। अगर कोई मंजूरी नहीं देता और कोई उसके डाटा में सेंध लगाती है तो जुर्माना और सजा का प्रावधान किया गया है।
डाटा संरक्षण पर सौंपी रिपोर्ट में समिति ने संवेदनशील की श्रेणी में 14 निजी जानकारियों को रखा है। इससे छेड़छाड़, सेंधमारी या उल्लंघन करने वाले व्यक्ति, संस्था या कंपनी के आधार पर जुर्माने की रकम तय की जाएगी। समिति ने डाटा संरक्षण उल्लंघन में पीड़ित को मुआवजे की सिफारिश भी की है।
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समिति ने 213 पन्नों की रिपोर्ट के साथ एक मसौदा विधेयक भी सूचना व प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद को सौंपा है। समिति ने पूरे देश में डाटा संरक्षण के लिए एक संरक्षण प्राधिकरण बनाने की सिफारिश की है। किसी व्यक्ति को निजी डाटा को लेकर किसी कंपनी से शिकायत होने पर निपटारे की व्यवस्था भी रिपोर्ट में दी गई है। इसमें डाटा संरक्षण अधिकारी, संरक्षण प्राधिकरण और अपीलीय ट्रिब्यूनल होगा। डाटा संरक्षण की जिम्मेदारी सरकार की होगी। साथ ही सुप्रीम कोर्ट में भी अपील की जा सकती है।
रिपोर्ट में सार्वजनिक हित, कर्ज की वसूली, गैरकानूनी गतिविधि, नेटवर्क व सूचना सुरक्षा, क्रेडिट स्कोर जानने समेत अन्य में सरकारी प्राधिकरणों और एजेंसियों को छूट दी गई है। बच्चों के डाटा का संरक्षण व उनकी उम्र की पुष्टि के लिए समुचित तंत्र बनाया जाए। आतंकी गतिविधि जैसे विशेष हालात में निजी डाटा खंगालने के अधिकार का प्रावधान भी किया गया है। नागरिकों के डाटा पर सरकार के अधिकार की सीमा का प्रावधान भी है।
समिति ने जोर दिया कि डाटा स्टोर देश में ही हो। अगर किसी अन्य देश में स्टोर किया जाए तो उसका प्रतिरूप भारत में रहे। सुप्रीम कोर्ट के जज, सेना समेत अन्य का अहम डाटा देश में ही रखना होगा। डाटा संरक्षण पर बनाया जाने वाला कानून रिजर्व बैंक के नियमों से ऊपर होगा।