23 साल बाद मां से मिली बेटी…लब खामोश थे, आंखें बयां कर रहीं थीं हाल

जन्म देने वाली मां से मिलने के लिए स्वीडन से पुणे आईं जीनत

पुणे/समाचार ऑनलाइन
23 साल के लंबे इंतजार के बाद जब जीनत ने अपनी जन्म देने वाली मां को देखा, तो हर तरफ बस सन्नाटा था। लब खामोश थे, लेकिन आंखें बहुत कुछ बयां कर रही थीं। जीनत की ख़ुशी आंसुओं का रूप लेकर बाहर आ रही थी और मां के चेहरे पर मन में उथल-पुथल मचा रहे सवालों की बेचैनी थी। वो सवाल जिनका जवाब उसे अपनी बेटी को देना होगा। कुछ देर दोनों यूँ ही एक दूसरे को निहारते रहे और फिर जीनत ने आगे बढ़कर अपनी मां को गले लगा लिया। इस एक पल के सुकून के लिए जीनत ने दो दशक इंतजार किया था। दरअसल, जीनत जब 14 महीने की थीं, तभी स्पेनिश दंपति एंटिच मारती और उनकी पत्नी गारिका बाटाशिया फोरस उसे पुणे स्थित ‘श्रीवस्ता’ संस्था से गोद लेकर अपने वतन लौट गए थे। आज 23 साल के बाद जीनत अपनी मां से मिलने भारत आई हैं। हालांकि, इससे पहले भी उन्होंने अपनी मां को ढूंढने की कोशिश की थी, लेकिन सफल नहीं हो सकीं। शनिवार को जब उनकी बरसों की मुराद पूरी हुई, तो उनकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा।

टूट गया भाषा का बंधन
जीनत के जहन में कई सवाल थे जिनका जवाब वो अपनी मां से चाहती थीं। शुरुआत में भाषा के चलते उन्हें ज़रूर परेशानी हुई, लेकिन सालों से सीने में दबे पड़े जज्बात जब उमड़कर बाहर निकले तो भाषा का बंधन भी टूट गया। जीनत को सिर्फ स्पेनिश और थोड़ी बहुत अंग्रेज़ी आती है, जबकि उनकी मां केवल हिंदी और मराठी जानती हैं। इसके बावजूद दोनों ने एक-दूसरे की कही-अनकही हर बात को समझ लिया।

बस एक ही तमन्ना थी
होश संभालने के बाद से ही जीनत की एकमात्र तमन्ना थी जन्म देने वाली मां से मिलना। एंटिच और गारिका जीनत के जज्बातों की कद्र करते हैं, इसलिए उन्होंने कभी उसे रोकने या टोकने की कोशिश नहीं की। उल्टा वो इस काम में जीनत की मदद करते रहे, इस बार जब जीनत भारत आईं तो दोनों भी उसके साथ चले आये। जीनत 12वीं कर चुकी हैं और अब आगे की पढ़ाई मनोविज्ञान में करना चाहती हैं। उन्होंने तीन साल एक रेस्तरां में काम किया, ताकि भारत आने के लिए पैसे इकठ्ठा कर सकें। जब जीनत अपनी मां के सामने आई थीं, तो मां उसे गले लगाकर खूब देर तक रोती रहीं। उन्होंने जीनत को गले की चेन, कांच की चूड़ियाँ और कान की बालियां भी दीं।

एक सच से लगा धक्का
जीनत अपनी मां से सबसे पहला सवाल यही पूछना चाहती थीं कि आखिर वो उन्हें इस तरह छोड़कर क्यों चली गई थीं? इस सवाल का जो जवाब जीनत को अपनी मां से मिला, उसने उन्हें अंदर तक हिलाकर रख दिया। जीनत की मां ने बताया कि एक रिश्तेदार ने उनके साथ बलात्कार किया था। जब वह प्रेग्नेंट हुईं तो घरवालों ने उन्हें घर से निकाल दिया, क्योंकि उस वक़्त उनकी शादी भी नहीं हुई थी। वो जीनत को दुनिया में आने से पहले मारना नहीं चाहती थीं और न ही ये चाहती थीं कि जीनत की दुनिया भी अंधेरी गलियों में गरीबी से लड़ने तक सीमित होकर रह जाए, इसलिए उन्होंने जीनत को सोसाइटी ऑफ़ फ्रेंड्स ऑफ़ ससून हॉस्पिटल (सोफोस) द्वारा संचालित संस्था श्रीवस्ता को सौंप दिया था।

अब हिंदी सीखूंगी
एंटिच और गारिका ने जीनत के साथ ही आकाश नामक लड़के को भी ‘श्रीवस्ता’ से गोद लिया है। जीनत जब 10 साल की थीं, तब भी वो भारत अपनी मां को ढूंढने आई थीं, लेकिन उस वक़्त उन्हें निराशा हाथ लगी थी पर इस बार उनका सपना पूरा हो गया। जीनत को यह देखकर बहुत बुरा लगा कि उनकी मां को गुज़ारा चलाने के लिए लोगों के सामने हाथ फैलाना पड़ता था। भावुक जीनत ने कहा, ‘मैं इस बात को कभी नहीं भूल सकती कि मेरे जन्म के लिए मेरी मां ने कितना दुःख सहा। मैं सोफोस का अहसान भी नहीं भूल सकती, अगले साल मैं फिर से भारत आउंगी, और हिंदी सीखूंगी’।