राष्ट्रीय पेयजल योजना में 25 करोड़ के घोटाले का लगा आरोप

जिला व संनियंत्रण समिति अध्यक्ष ने जिला परिषद के एक्जीक्यूटिव इंजीनियर, कांट्रैक्टर, चीफ एकाउंट ऑफिसर आदि पर उंगली उठाई
औरंगाबाद : समाचार ऑनलाइन – राष्ट्रीय पेयजल योजना के अंतर्गत कन्नड व अन्य तहसीलों में चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं में 25 करोड़ रुपए के घोटाले की शिकायत को दबाने की कोशिश की जा रही है। यह आरोप जिला व संनियंत्रण समिति अध्यक्ष ने लगाया है। उन्होंने अपनी शिकायत में जिला परिषद के एक्जीक्यूटिव इंजीनियर, कांट्रैक्टर, चीफ एकाउंट ऑफिसर आदि पर इस घोटाले में शामिल होने का आरोप लगाया है। उन्होंने इस मामले में वाटर सप्लाई मंत्री बबनराव लोणीकर से शिकायत के बाद भी कार्रवाई नहीं होने पर सवाल खड़े किए हैं।

उन्होंने कहा कि विभागीय आयुक्त डॉ.पुरुषोत्तम भापकर के पास इस योजना को लेकर साक्ष्य के साथ शिकायत की गई।शिकायत में जिला परिषद के एक्जीक्यूटिव इंजीनियर, कांट्रैक्टर, चीफ एकाउंट ऑफिसर आदि पर दोषारोपण किया गया है। तत्कालीन सीईओ ने गंभीरता से योजना के कार्यों पर ध्यान नहीं दिया। वाटर सप्लाई मंत्री बबनराव लोणीकर से भी इसकी शिकायत की गई। इसके बावजूद इसकी जांच क्यों नहीं की जा रही है? उन्होंने यह सवाल 27 नवंबर को जिला व संनियंत्रण समिति की बैठक में उठाया। जिला परिषद प्रशासन ने इस संबंध में खुलासा करते हुए कहा कि महाराष्ट्र जीवन प्राधिकरण को इस प्रकरण के संबंध में बताया गया है। पूर्ण वाटर सप्लाई योजना को लेकर भी यही शिकायत है।किसी एक गांव को लेकर यह शिकायत नहीं है।इसलिए इस प्रकरण में आगे कदम नहीं उठाया गया।

जिले के सभी तहसीलों में सूखा घोषित किया गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में पीने के पानी की आपूर्ति करना सबसे बड़ी चुनौती जिला प्रशासन के सामने है। फिलहाल 4 लाख लोगों को टैंकर से वाटर सप्लाई किया जा रहा है। टैंकर लॉबी पर करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं। ऐसी स्थिति में राष्ट्रीय पेयजल योजना में घोटाला होने की शिकायत जिला प्रशासन, जिला परिषद और विभागीय आयुक्त को किए जाने के बावजूद जांच क्यों नहीं की जा रही? यह सवाल विरोधियों ने खड़ा किया है।
गांव के सभी नागरिकों के घरों में कम से कम 40 एलपीसीडी पानी सप्लाई करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल योजना 2010 में शुरू की गई थी। इस योजना का उद्देश्य जल स्त्रोत, पानी की गुणवत्ता व पारिवारिक स्तर पर जल सुरक्षा पर जोर देना है। इसमें 100 फीसदी नल कनेक्शन जोड़ना भी शामिल है। जल स्वराज प्रोजेक्ट की तरह गांव कृति प्रारुप तैयार करने, गांवों को खुले में शौच से मुक्त करने जैसी शर्ते योजना में शामिल है। योजना के लिए भूमि अधिग्रहण, राजस्व व वन विभाग, पीडब्ल्यूडी, जल संसाधन विभाग, रेलवे व अन्य विभागों का परमिशन आवश्यक है।