मानवता और शांति का सन्देश देने के लिए पुणे में एमआईटी विश्व शांति विद्यापीठ की ओर व्यास में विश्व का सबसे बड़ा डोम बनाया गया है। इस डोम में अलग-अलग क्षेत्र के व्यक्तिव के कुल 54 स्टैचू लगाए गए है। इसे आज तक का सबसे अनोखा डोम कहा जा रहा है। जहां पर आध्यात्मिक और विज्ञान का संगम किया गया है। इस डोम में 54 स्टैचू लगाए गए है। जिसमे संत, फिलॉसफर, सइंटिस क्षेत्र के व्यक्तिव का संगम है।
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एमआईटी विश्व शांति विद्यापीठ की ओर से व्यास में विश्व का सबसे बड़ा डोम बनाया गया है। इसका नाम तत्तवज्ञ संत श्री ज्ञानेश्वर महाराज प्रार्थना सभागृह और विश्व शांति ग्रंथालय दिया गया है। इस डोम में एक बड़ा ग्रंथालय भी बनाया गया है। इस डोम का लंबाई 263 फिट है, वही 160 डाई मीटर चौड़ाई है। इसकी शुरुवात 2003 से की गयी थी। इसे एक हज़ार कारीगर द्वारा बनाया गया है। इसकी लागत 250 से 300 करोड़ रुपए की है। इस डोम को बनाने के लिए 13 से 15 साल का वक़्त लगा। इसमें लगाए गए कुल 54 स्टैचू में संत, फिलॉसफर, सइंटिस क्षेत्र के व्यक्तिव का संगम है। जिसमे सभी धर्म के फाउंडर के स्टैचू को लगाया गया है। इस डोम को 54 पिलर से बनाया गया है। हर एक पिलर में एक स्टैचू लगाए गए है।
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इस मौके पर राहुल कराड ने कहा कि, वर्त्तमान स्थिति में आंतकवाद, जातिवाद से जूझ रहे परिस्थित से निकलने के लिए यह एक कोशिश है। विश्व का पहला आध्यात्मिक और विज्ञान का संगम वाला अनोखा डोम है। विश्वनाथ कराड ने इसका सपना 2003 में देखा था। जिसके बाद इसे पेपर-कलम में उतारा गया और बाद में बनते-बनते यह अपने आप एक अनोखा व विश्व का व्यास में सबसे बड़ा डोम बनाया गया है। इस डोम में श्री राम, श्री कृष्णा, जीसस क्राइस्ट, गौतम बुद्धा, भगवन महावीर,अल्बर्ट एंस्टिन, एलेग्जेंडर फ्लेमिंग, आर्य भट, सी.वी.रमन आदि के स्टैचू लगाए गए है।
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