एक दशक बाद फिर छिड़ी बहस क्या बंद कमरे में अश्लील कृत्य अपराध हैं?

मुंबई | समाचार ऑनलाइन

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के ‘लोनावला पार्टी’ केस पर कल से फिर सुनवाई

करीब एक दशक पहले लोनावला से जुड़े एक मामले ने इस बहस को जन्म दिया था कि क्या बंद कमरे में किये जाने वाले अश्लील कृत्य अपराध के दायरे में आने चाहिए? इतने सालों बाद अब फिर से उस मामले पर बहस शुरू होने जा रही है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने  वडगांव मावल कोर्ट को 2008 के इस मामले की नए सिरे से सुनवाई के आदेश दिए हैं। गौरतलब है कि पुलिस ने लोनावला के एक निजी बंगले पर पार्टी कर रहे 21 कस्टम अधिकारियों को गिरफ्तार किया था। जिस वक़्त पुलिस ने बंगले पर छापा मारा सभी नशे में थे और अश्लील साहित्य देख रहे थे। बॉम्बे हाईकोर्ट ने 2014 में यह कहते हुए कार्रवाई रद्द कर दी थी कि निजी संपत्ति पर पार्टी करना अपराध नहीं है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इसे अपराध माना और निचली अदालत को फिर से केस खोलने का आदेश दिया।

25 अगस्त, 2008 की रात को मुंबई के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर नाइट शिफ्ट ख़त्म करने के बाद संबंधित अधिकारियों ने अगले 48 घंटों तक पार्टी करने का फैसला किया। सभी लोनावला से लगभग 2 किलोमीटर दूर, एंगुरला गांव स्थित एक बंगले में पार्टी के लिए पहुंचे।
लोनावला पुलिस स्टेशन के पुलिस निरीक्षक भौसाहेब अंधलकर को जैसे ही इस पार्टी का पता चला उन्होंने अपनी टीम के साथ बंगले पर छापा मारा। छापे के दौरान पुलिस को बंगले में कई लड़कियां भी मिलीं, इसके अलावा विदेशी शराब, कैश,  लैपटॉप, कंडोम के पैकेट और  म्यूजिक सिस्टम सहित कुल 1.26 लाख का माल भी जब्त किया गया।

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सभी अधिकारियों को 1949 के बॉम्बे प्रोबेशन एक्ट की धारा 65 (ई), 82 और 85 (1) (2) के तहत बुक किया गया, साथ ही भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 292 (सार्वजनिक रूप से अश्लील सामग्री का प्रदर्शन करना) के तहत भी कार्रवाई की गई। मामले के दो साल बाद यानी 2010 में वाडगांव मावल कोर्ट ने बॉम्बे प्रोबेशन एक्ट के तहत लगे आरोपों से उन्हें बरी कर दिया। इसके बाद अधिकारियों ने आईपीसी की धारा 292 के तहत दर्ज किये गए केस को हाईकोर्ट में चुनौती दी।

हाईकोर्ट ने अधिकारियों की याचिका पर गौर करते हुए 24 नवंबर, 2010 को आईपीसी की धारा 292 हटा ली। लेकिन राज्य सरकार ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, जिस पर कोर्ट ने वाडगांव मावल न्यायालय को आईपीसी धारा 292 के तहत 21 आरोपियों के खिलाफ नए सिरे से सुनवाई करने के निर्देश दिए हैं। विद्याधर कोशे और अनय कुलकर्णी बचाव पक्ष के वकील हैं। मामले की सुनवाई 18 अगस्त को होगी।