बंदी नहीं बल्कि घर- घर पहुंचाएगी शराब सरकार!

पुणे | समाचार ऑनलाइन

एक ओर जहां देश में कुछ राज्य सरकारें शराबबंदी लागू कर चुकी हैं, महाराष्ट्र सरकार इससे एकदम उलटे रास्ते पर है। हालांकि यहां भी शराबबंदी की मांग काफी समय से की जा रही है। मगर राज्य सरकार ऐसी नीति लागू करने का मन बना रही है जिसके तहत लोगों के घरों पर शराब की डिलिवरी की जा सकेगी। राज्य के एक्साइज राज्य मंत्री चंद्रशेखर बावनखुले ने इससे शराब इंडस्ट्री में बड़ा बदलाव आने की उम्मीद जताई है। उन्होंने स्पष्ट किया कि, इस योजना के पीछे मुख्य कारण शराब पीकर गाड़ी चलाने से होनेवाले हादसों की संख्या कम करना है।

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नेशनल और इंटरनेशनल ई-कॉमर्स वेबसाइट्स की तरह एक प्लैटफॉर्म पर शराब को लोगों के घर तक शराब पहुंचाई जाएगी, जैसे राशन और सब्जियां पहुंचती हैं। नेशनल क्राइम रेकॉर्ड्स ब्यूरो के आंकड़ों को मुताबिक 2015 में 4.64 लाख सड़क हादसों में से 1.5 फीसदी शराब पीकर गाड़ी चलाने के कारण हुए थे जिससे 6,295 लोग घायल हो गए थे। इन हादसों में 2,988 लोगों की मौत हो गई थी। शराब खरीदने के लिए उम्र की पात्रता तय करने के लिए वेबसाइट्स को ग्राहकों के आधार नंबर समेत वह सारी जानकारी लेनी होगी जिससे उम्र आदि की जानकारी मिल सके। शराब की बोतलों पर जियो-टैग लगा होगा जिससे उन्हें खरीद-फरोख्त पर नजर रखी जा सके। बोतलों के ढक्कन पर टैग लगा होगा। विक्रेता से ग्राहक तक बोतल को ट्रैक किया जाएगा। इससे मिलावटी शराब और तस्करी रोकने में मदद मिलेगी।

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सरकार के इस कदम की तारीफ करते हुए हाई कोर्ट के वकील श्रीरंग भंडारकर ने कहा कि इससे व्यस्त लोगों का समय बचेगा। शराब पीकर गाड़ी चलाने वाले हादसों में कमी आएगी और डिलिवरी की व्यवस्था से लोगों को रोजगार मिलेगा। साथ ही, ग्राहकों को ज्यादा विकल्प मिलेंगे और क्वॉलिटी का भरोसा भी मिलेगा। हालांकि, शराबबंदी की मांग कर रहीं ऐक्टिविस्ट पोरमिता गोस्वामी इस फैसले के विरोध में हैं। उन्होंने इसे असंवैधानिक फैसला बताया और कहा है कि इसके दुष्परिणाम देखने पड़ेंगे। उन्होंने कहा, ‘भारत के संविधान के आर्टिकल 47 के तहत नशीले पेय जिनसे मौत या घायल होने की संभावना हो, उनकी बिक्री पर प्रतिबंध है। सरकार को इस कदम पर दोबारा विचार करना चाहिए, जिससे राज्य में शराब की लत बढ़ सकती है।’

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