देश का एक ऐसा किला जहां से दिखता है पूरा पाकिस्तान

नई दिल्ली : समाचार ऑनलाइन – भारत एक समय राजा-महाराजाओं का देश था। उस दौरान देश में राजाओं का राज था। आज इस देश में वह राजायें तो नहीं है, लेकिन उनके द्वारा छोड़े गए किले आज भी हमारे देश में मौजूद है। इस दौरान बाहर से आये कई राजाओं ने भारत को लूटा लेकिन पूरी तरह सफल नहीं हो पाए। इसका साबुत पहाड़ों में बना ये ऊँचे-ऊँचे किले है। जो अपने आप में आज बेहद खास है।

भारत के धनी इतीहास में से एक ऐसे किले की बात कर रहे है। जो पांच सौ साल पुराना है और इस किले से पूरा पड़ोसी देश पाकिस्तान दिखाई देता है। कहा जाता है कि बंटवारे के दौरान इसपर कब्जा जमाने की कोशिश पाकिस्तान ने की थी मगर नाकाम रही। राजस्थान में स्थित इस किले का नाम मेहरानगढ़ है।
मेहरानगढ दुर्ग भारत के राजस्थान प्रांत में जोधपुर शहर में स्थित है। पन्द्रहवीं शताब्दी का यह विशालकाय किला, पथरीली पहाड़ी पर 125 मीटर ऊंचाई पर निर्मित है। जो कुतुबमीनार से भी ऊंचा है। 500 साल पुराने इस किले से पूरा पाकिस्तान दिखता है।

1965 में भारत-पाक के युद्ध में सबसे पहले मेहरानगढ़ के किले को निशाना बनाया गया था। जोधपुर शासक राव जोधा ने 12 मई 1459 को इस किले की नींव डाली और महाराज जसवंत सिंह (1638-78) ने इसे पूरा किया। इस किले के दीवारों की सीमा 10 किलोमीटर तक फैली है। इनकी ऊंचाई 20 फुट से 120 फुट तथा चौड़ाई 12 फुट से 70 फुट तक है। इसमें दुर्गम रास्तों वाले सात आरक्षित दुर्ग बने हुए थे। घुमावदार सड़कों से जुड़े इस किले के चार द्वार हैं। किले के अंदर कई भव्य महल, अद्भुत नक्काशीदार दरवाजे, जालीदार खिड़कियां हैं। राव जोधा को चामुंडा माता मे काफी श्रद्धा  थी। चामुंडा माता जोधपुर के शासकों की कुलदेवी हैं। कहा जाता है कि, माता कि कृपा से ही युद्ध के दौरान किले को भारत बचा पाया था। आज भी लाखों लोग यहां आकर पूजा अर्चना करते है। कि नवरात्रि के दिनों मे यहां विशेष पूजा अर्चना की जाती है। कहा जाता माता के आशीर्वाद से ही सन 1965 में पाकिस्तान के हमले के दौरान किले को कोई छू तक नहीं पाया था।