‘आपले सरकार’ और दत्तवाड़ी पुलिस की मदद से एक सीनियर सिटीजन को मिला उसका फ्लैट

पुलिस के हस्तक्षेप के बाद दो सप्ताह में फ्लैट का चाबी मिली

पुणे : समाचार ऑनलाइन – पुरानी और खस्ताहाल गृहरचना संस्था की बिल्डिंग्स के पुनर्विकास का काम सोसायटियों द्वारा कराया जाता है, लेकिन कई बार बिल्डरों द्वारा इन बिल्डिंगों को कब्जे में लेने के बाद मूल घर मालिक के हक का घर वापस करने में टालमटोल किया जाता है। कई बार तो धमकाने का भी प्रयास किया जाता है। समझौते के मुताबिक बिल्डर घर नहीं देते हैं और मूल घर मालिकों को बेवजह परेशान होना पड़ता है। इसके बाद पुलिस स्टेशन जाने के सिवाए उनके पास कोई दूसरा रास्ता नहीं बचता है। पुलिस स्टेशन पहुंचने के बाद पुलिसकर्मियों द्वारा मामले में टालमटोल कर समझौता कर लेने या कोर्ट जाने जैसी सलाह दी जाती है, लेकिन दत्तवाड़ी पुलिस इसका अपवाद है। दत्तवाड़ी पुलिस ने ऐसे ही एक सीनियर सिटीजन को उनके हक का घर दिलाया है। दत्तवाड़ी पुलिस का यह आदर्श अन्य पुलिस स्टेशनों द्वारा अपनाया जाए तो लोगों की परेशानियां काफी हद तक दूर हो जाएंगी।

रविकुमार सदाशिव भावे (उम्र 67 वर्ष, नि. बल्लाल सोसायटी, पद्मावती, सहकारनगर) जिस सहकारी गृह संस्था में रह रहे थे। उसे पुनर्विकास के लिए एक बिल्डर को दिया गया था। उनके बीच 2014 में समझौता हुआ था। अक्टूबर 2017 में रविकुमार को बिल्डर से फ्लैट मिलने की उम्मीद थी, लेकिन उसे वर्ष समाप्त होने के बाद भी फ्लैट कब्जे में नहीं दिया गया। भावे ने राज्य सरकार के ‘आपले सरकार’ पोर्टल पर शिकायत की। यह शिकायत दत्तवाड़ी पुलिस को 18 नवंबर 2018 को मिली। सीनियर पुलिस इंस्पेक्टर देवीदास घेवारे ने शिकायत को गंभीरता से लेते हुए असिस्टेंट पुलिस इंस्पेक्टर शंकर सलगर को शिकायतकर्ता की मदद करने का आदेश दिया। इसके बाद बिल्डर और रविकुमार को सामने बिठाकर समझौता कराया गया।बिल्डर ने दो सप्ताह में भावे के फ्लैट का रंगरोगन और शेष बचे कार्यों को पूरा कर फ्लैट रविकुमार को सौंप दिया। बिल्डर द्वारा सुविधाएं देने की बात कहने के कारण रविकुमार ने शुरू में ही 7 लाख रुपए देने की हामी भरी थी, लेकिन बिल्डर ने रविकुमार से 9 लाख रुपए लिए थे उसके बावजूद उन्हें फ्लैट का कब्जा नहीं मिल रहा था। कंस्ट्रक्शन पूर्ण होने तक हर महीने 16 हजार 500 रुपए किराया देने के करार के बावजूद अप्रैल 2016 तक पैसे नहीं दिए। समझौते के बाद बिल्डर ने किराए के सवा लाख रुपए और 5 हजार रुपए ट्रैवलिंग खर्च के रूप में अदा किए।