आप सांसद संजय सिंह की मुश्किलें कायम…राजद्रोह वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश पारित करने से इनकार किया 

नई दिल्ली. ऑनलाइन टीम : आम आदमी पार्टी के राज्यसभी सांसद संजय सिंह पर आरोप है कि उन्होंने उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के जातिवादी होने को लेकर फोन सर्वे कराया था। इस मामले को लेकर दो सितंबर को हजरतगंज थाने में एक एफआईआर दर्ज की गई थी। सर्वे करने वाली प्राइवेट कंपनी के तीन निदेशकों पर भी राजद्रोह और धोखाधड़ी की धारा बढ़ाई गईं है।  एक माह के भीतर अलग-अलग शहरों में संजय पर 13 मुकदमे दर्ज हो चुके हैं। संजय सिंह ने इसी मामले में सुप्रीम कोटई की शरण ली है, लेकिन मंगलवार को उच्चतम न्यायालय ने  संजय सिंह की याचिका पर कोई भी आदेश पारित करने से इनकार कर दिया। संजय सिंह ने अदालत से उत्तर प्रदेश में राजद्रोह सहित विभिन्न आरोपों के तहत दर्ज एफआईआर के सिलसिले में गिरफ्तारी से सुरक्षा देने की मांग की थी।  शीर्ष अदालत अब इस मामले में अगले हफ्ते सुनवाई करेगा।

भारतीय दण्ड संहिता  की धारा 124 ए में राजद्रोह की परिभाषा के अनुसार अगर कोई व्यक्ति सरकार-विरोधी सामग्री लिखता या बोलता है, ऐसी सामग्री का समर्थन करता है, राष्ट्रीय चिन्हों का अपमान करने के साथ संविधान को नीचा दिखाने की कोशिश करता है तो उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 124 ए में राजद्रोह का मामला दर्ज हो सकता है। इसके अलावा अगर कोई शख्स देश विरोधी संगठन के खिलाफ अनजाने में भी संबंध रखता है या किसी भी प्रकार से सहयोग करता है तो वह भी राजद्रोह के दायरे में आता है। इसके तहत आरोपी के दोषी पाए जाने पर उम्रकैद तक की सजा हो सकती है।

लेकिन इससे बचते हुए संजय ने आरोप लगाया है कि राजनीतिक बदले की भावना से उनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। एक अलग याचिका में उन्होंने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 21 जनवरी के फैसले को भी चुनौती दी है, लेकिन इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ बेंच ने भी मंगलवार को आप सांसद संजय सिंह के खिलाफ हजरतगंज थाने में दर्ज मुकदमे में राहत देने से इनकार कर दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति राकेश श्रीवास्तव की एकल सदस्यीय पीठ ने दिया। अदालत ने संजय सिंह की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि निचली अदालत द्वारा चार्जशीट पर संज्ञान लेने में कोई भी त्रुटि नहीं की गई है।  सांसद ने उक्त मामले में निचली अदालत द्वारा संज्ञान लेने को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।