नई दिल्ली : समाचार ऑनलाइन – प्रौद्योगिकी में बदलाव से इस साल कई पारंपरिक नौकरियों की जगह नयी नौकरियों ने ले ली। वहीं वेतन में करीब आठ से दस प्रतिशत की औसत वृद्धि हुई। दूसरी ओर अगर आने वाले साल की बात करें तो विशेषज्ञों एवं नियोक्ताओं को लगता है कि नये वर्ष में करीब 10 लाख नये रोजगार के अवसरों का सृजन होगा। हालांकि, उन्होंने कहा कि वेतनवृद्धि पिछले साल की तरह ही बनी रह सकती हैं। हालांकि, कुछ खास क्षेत्र के लोगों की वेतन में आठ से दस प्रतिशत तक बढ़ोतरी भी हो सकती है। अगले साल होने वाले आम चुनाव के मद्देनज़र संभावना जताई जा रही है कि राजनैतिक अनिश्चितता को देखते हुए नियोक्ता 2019 की पहली छमाही में सतर्क रुख अख्तियार कर सकते हैं।
एक आकलन के मुताबिक, हर साल 1. 2 करोड़ लोग रोजगार बाज़ार में प्रवेश कर रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि देश में रोजगार सृजन को लेकर पर्याप्त और विश्वसनीय आंकड़ों के आभाव के कारण भी स्तिथि ज्यादा बदत्तर हो गयी है। साल 2016 के नवंबर में नोटबंदी और एक जुलाई, 2017 को जीएसटी लागू किये जाने के बाद 2018 में भारतीय रोजगार बाजार फिर से पटरी पर लौटता नज़र आया।
सोसायटी फॉर ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट के परामर्श विभाग के प्रमुख निशिथ उपाध्याय के मुताबिक, आम चुनाव के दौरान रोजगार सृजन एक बड़ा मुद्दा रहने वाला है। इसके बावजूद संगठन 2019 में अपनी कारोबारी योजना को लागू करने को लेकर सतर्कता का रुख अपना सकते हैं। इसमें कम से कम साल की पहली तिमाही में रोजगार सृजन प्रभावित होगा।