10वीं के बाद ही हो गई थी शादी, आज हैं महाराष्ट्र बोर्ड की अध्यक्ष

मुंबई।
इंसान अगर ठान ले तो कठिन से कठिन परिस्थिति में भी खुद को साबित कर सकता है। महाराष्ट्र राज्य माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की अध्यक्ष शकुंतला काले ने भी कुछ ऐसा ही कर दिखाया है। वह जब चौथी कक्षा में थीं, उनके पिता गुजर गए। उनकी मां मजदूरी करके परिवार का पालन-पोषण करती थीं। गांव में जूनियर स्कूल भी नहीं था। ऐसे में शकुंतला की शादी 14 साल की उम्र में ही कर दी गई। तब उन्होंने 10वीं की परीक्षा ही पास की थी। लेकिन उन्होंने अपने सपनों को जिंदा रखा और अपनी मेहनत से अपना मुकाम हासिल किया। शुक्रवार 8 जून को जब शकुंतला काले ने महाराष्ट्र राज्य माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की अध्यक्ष के तौर पर 10वीं के नतीजे घोषित किए तो उन्हें पता था कि अंबेगांव तालुका में उनके गांव को उन पर कितना गर्व होगा।

संयुक्त परिवार, बच्चों के साथ जारी रखी पढ़ाई
कम उम्र में शादी के बाद काले को ससुराल में संयुक्त परिवार मिला और कुछ ही समय बाद दो बच्चे हो गए। काले कहती हैं कि, उस समय समाज में महिलाओं को काम या पढ़ाई के लिए बाहर जाने की इजाजत नहीं होती थी। उन्होंने पति और अपने ससुर की मदद से डिस्टेंस एजुकेशन के जरिये स्नातक और फिर सावित्रीबाई फूले विश्वविद्यालय से मराठी भाषा में मास्टर्स की डिग्री हासिल की और फिर जिस स्कूल में पढ़ती थीं, उन्होंने वहीं पढ़ाना शुरू किया।

रेडियो सुनकर समान्य ज्ञान बढ़ाती
काले कहती हैं, ‘जब आपको पता होता है कि स्थितियां सुधरेंगी नहीं तो आपको खुद के अंदर से ही एक शक्ति मिलती है। मैंने महाराष्ट्र पब्लिक सर्विस कमिशन (एमपीएससी) की परीक्षा देने का सपना संजोया।’ मेरे प्रतियोगी किताबें नहीं थी न ही टीवी था। पूरे गांव में एक ही टीवी था। रेडियो सुनकर अपना सामान्य ज्ञान बढ़ाती थी। घर का काम करते करते वह रेडियो सुनती थीं।जब भी रेडियो पर समाचार आता उनका बेटा फौरन दौड़कर उन्हें बताने चला आता था।

सिर्फ चार घंटे सो पातीं
काले ने बताया कि, मैं पढ़ाने के बाद घर आकर सारे काम निपटाने के बाद पढ़ाई करती थी। ऐसे में वह केवल चार घंटे ही सो पाती थीं। उन्हें रोज सुबह 3 बजेे उठकर पानी भरने भी जाना पड़ता था।
उन्होंने 1993 में एमपीएससी क्लास ll की परीक्षा पास की और सोलापुर में शिक्षा विभाग में उनकी नियुक्ति हुई। 1995 में उन्होंने क्लास l की परीक्षा भी पास कर ली और फिर उन्हें महिला शिक्षा और विस्तार विभाग का अध्यक्ष बनाया गया। वह बताती है कि जिस साल उन्होंने अपनी पीएचडी पूरी की, वह अंतरराष्ट्रीय महिला वर्ष था।अलग-अलग शिक्षा विभागों में रहने के बाद 25 सितंबर 2017 को उन्हें राज्य बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया।