झारखंड का बेनाम स्टेशन, सात सालों में नहीं मिली पहचान

झारखंड : समाचार ऑनलाइन

झारखंड के लोहरदगा का एक रेलवे स्टेशन पिछले सात सालों से बिना नाम का है. दो गावों के विवाद के कारण इस स्टेशन को अब तक अपनी पहचान नहीं मिली पायी है। हालांकि इस स्टेशन पर बड़कीचॉपी के नाम पर टिकट की बिक्री होती है। लेकिन इस नाम को स्टेशन पर औपचारिक रूप से नहीं लिखा गया है।

इस मामले में गांव वालों का कहना है कि, यह स्टेशन कमले गांव की जमीन पर बना है। कमले गांव के वासियों ने ही अपनी खेती की जमीन रेलवे विभाग को दी है। ऐसे में इस स्टेशन का नाम बड़कीचॉपी कैसे हो सकता है? जबकि बड़कीचॉपी यहां से तीन किलोमीटर दूर स्थित है।ग्रामीणों का कहना है कि जब इस स्टेशन का नाम अधिकारिक रूप से कमले घोषित हो जाएगा, तब स्टेशन पर नाम लिखने दिया जाएगा, क्योंकि रेलवे के द्वारा नामकरण किए जाने के बाद इस स्टेशन की राष्ट्रीय पहचान हो जाएगी।

हालांकि कुछ ग्रामीण इस स्टेशन नाम बड़कीचॉपी रखने के पक्ष में हैं। लेकिन कमले गांव के लोग इसका विरोध कर रहे हैं। जिसकी वजह से पिछले सात सालों से स्टेशन को अपनी पहचान नहीं मिल पायी है।

पूरे मामले पर डीआरएम विजय कुमार गुप्ता ने कहा कि, स्टेशन का नाम राज्य सरकार तय करती है और इस सिलसिले में निर्णय लेने के लिए सरकार के पास विषय को भेजा जा चुका है। निर्णय होते ही स्टेशन का नाम लिखा दिया जाएगा।
पिछले सात वर्षो से रांची-टोरी रेलखंड पर पड़ने वाले इस स्टेशन को अपना नाम नहीं मिला है। बिना पहचान के ही इस स्टेशन को कोयला डंपिग यार्ड भी बना दिया गया है।