बिर्ला हॉस्पिटल के खिलाफ एक और मामला दर्ज

पिंपरी। पुणे समाचार ऑनलाइन
बिल के लिए बुजुर्ग मरीज को कैद कर रखने और उसके परिजनों से धक्कामुक्की के मामले के बाद चिंचवड़ के आदित्य बिर्ला मेमोरियल हॉस्पिटल के खिलाफ पुलिस में एक और मामला दर्ज हुआ है। इस मामले में हॉस्पिटल की सीईओ रेखा दुबे समेत दो लोगों को वाकड पुलिस ने गिरफ्तार करने के बाद उन्हें जमानत पर रिहा किया। इसके दो दिन बाद सरकारी स्वास्थ्य योजना का लाभ न देने को लेकर जवाब मांगने गए स्वाभिमानी संगठन के नेता के साथ हॉस्पिटल के प्रबंधन द्वारा गालीगलौच और धक्कामुक्की किये जाने के मामला सामने आया है।

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इस बारे में स्वाभिमानी संगठन के नेता प्रशांत मधुकर गायकवाड़ (29) निवासी ठाणे ने वाकड पुलिस ठाणे में शिकायत दर्ज कराइ है। इसके अनुसार बिर्ला हॉस्पिटल की प्रशासकीय अधिकारी शिल्पी, पीआरओ पवार और एक बाउंसर के खिलाफ अदखलपात्र मामला दर्ज किया है। बीते तीन दिनों में बिर्ला हॉस्पिटल के प्रबन्धन के खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज होने का यह दूसरा वाकया है। इसके पहले पिंपरी के एक मरीज के पुत्र ने प्रबंधन के खिलाफ आर्थिक दुर्बल घटक के मरीजों के लिए अमल में लायी जा रही सरकारी स्वास्थ्य योजना का लाभ न देते हुए मरीज को बिल के लिए कैद कर रखने की शिकायत दर्ज कराइ थी।
नए मामले के बारे में जानकारी देते हुए वाकड पुलिस ने बताया कि, 15 अगस्त को समर्थ सागर राणे नामक 10 माह के बच्चे को बिर्ला हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। उसके अभिभावकों ने उसे धर्मादायी अस्पताल की योजना के तहत इलाज करने की गुहार लगाई। इस योजना के लाभ से दूर रखने के लिए सात दिनों बाद उन्हें इलाज के बिल का कोटेशन दिया गया। नतीजन बच्चे को योजना के तहत इलाज का लाभ नहीं मिल सका और दो दिन बाद उसकी मौत हो गयी। इस बारे में जब स्वाभिमानी संगठन के नेता प्रशांत गायकवाड़ अपने साथी विक्रम कदम के साथ हॉस्पिटल पहुंचे, तब उनके साथ गैरबर्ताव किया गया। यही नहीं उनके साथ गालीगलौच करते हुए हॉस्पिटल के बाउंसर ने धक्कामुक्की की।

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प्रशांत गायकवाड़ की शिकायत के आधार पर वाकड पुलिस ने बिर्ला हॉस्पिटल की प्रशासकीय अधिकारी शिल्पी, पीआरओ पवार और एक बाउंसर के खिलाफ अदखलपात्र मामला दर्ज किया है। अभी शुक्रवार को ही इसी हॉस्पिटल की सीईओ रेखा दुबे और राजेश दुबे को एक बुजर्ग मरीज को कैद कर रखने और उसके परिजनों को उससे मिलने न देने के साथ ही उनके साथ धक्कामुक्की किये जाने के मामले में गिरफ्तार किया गया था। हांलाकि उन्हें तुरंत जमानत मिल गई और उन्हें रिहा कर दिया। हॉस्पिटल की और से भी मरीज के पुत्र और एक सामजिक कार्यकर्ता के खिलाफ हॉस्पिटल के कर्मचारियों के साथ धक्कामुक्की कर मरीज के कागजात छीनकर गोपनीयता का उललंघन किये जाने की शिकायत दर्ज कराई गई है