रिलायंस जियो पर भाजपा सरकार की एक और मेहरबानी

मुंबई । एजेंसी

जहां एक तरफ़ केंद्र की भाजपा सरकार पर अंबानी, अदानी के हित में कार्यरत रहने के आरोप लगातार किये जा रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ अंबानी के रिलायंस ग्रुप पर केंद्र सरकार की एक और मेहरबानी चर्चा और विवाद का सबब बन गई है। सरकार ने तीन सार्वजनिक और तीन निजी विश्वविद्यालयों को इंस्टीट्यूशन्स ऑफ इमिनेंस का दर्जा दिया। इसमें दो आइआइटी के साथ रिलायंस फाउंडेशन का जियो इंस्टीट्यूट भी है, जो कि अभी लांच भी नहीं हुआ है।

इन विश्वविद्यालय का चयन विश्वविद्यालय अनुदान आयोग(यूजीसी) ने किया है। इन विश्वविद्यालय को वैश्विक स्तर की गुणवत्ता हासिल करने के लिए विशेष रूप से फंडिंग के साथ स्वायत्तता हासिल होगी। इस सूची में दो आइआइटी के साथ अब तक शुरू भी नहीं हो सके रिलायंस फाउंडेशन का जियो इंस्टीट्यूट भी शामिल रहने को लेकर कांग्रेस ने सरकार पर सवाल उठाए हैं। जियो के साथ इस सूची में जगह बनाने वाले अन्य संस्थानों में बिट्स पिलानी, मनीपाल एकेडमी ऑफ हायर एजूकेशन, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस बेंगलुरु और आइआइटी मुंबई तथा दिल्ली शामिल हैं।

जैसे ही केंद्र सरकार के इस फैसले की मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने जानकारी दी तो जियो ट्विटर पर ट्रेंड होने लगा। तमाम लोगों ने मंत्री जावड़ेकर को टैग कर पूछना शुरू किया कि जियो इंस्टीट्यूट आखिर हैं किस जगह पर? इस मसले पर कांग्रेस ने ट्वीट कर कहा, भाजपा सरकार ने मुकेश और नीता अंबानी को फिर पक्ष लिया है। जिस जियो इंस्टीट्यूट का अभी निर्माण होना है, उसे इमिनेंट इंस्टीट्यूट का दर्जा दे दिया गया। सरकार को बताना होगा कि किस आधार पर इस विश्वविद्यालय का ग्रांट के लिए वर्गीकरण किया गया।

यूजीसी ने स्पष्ट किया कि जियो इंस्टीट्यूट का चयन ग्रीनफील्ड इंस्टीट्यूशन्स के नियमों के तहत किया गया। कुल 11 संस्थानों ने इस कटेगरी के लिए आवेदन किया था था, जिसमें से जियो को चुना गया। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने ट्वीट के जरिए इंस्टीट्यूट्स ऑफ इमिनेंस के बारे में जानकारी दी थी। उन्होंने कहा है कि इमिनेंस इंस्टीट्यूट्स देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। देश में 800 विश्वविद्यालय हैं, मगर विश्व की शीर्ष 100 या 200 विश्वविद्यालयों में एक भी भारतीय विश्वविद्यालय नहीं है। आज का फैसला इस उपलब्धि को हासिल करने में मदद करेगा।