सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में राम मंदिर-बाबरी मस्जिद के मामले में गुरुवार को फैसला सुनाया। शीर्ष अदालत के 1994 के एक फैसले में की गई टिप्पणी से जुड़े मामले को पांच सदस्यीय संविधान पीठ को सौंपने से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने 1994 के फैसले में टिप्पणी की थी कि मस्जिद इस्लाम का अंग नहीं है। कोर्ट ने 2-1 के बहुमत से अपने फैसले में कहा कि अयोध्या में रामजन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में दीवानी वाद का फैसला सबूतों के आधार पर होगा और 1994 का निर्णय इस मामले में प्रासंगिक नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद बीजेपी की नेता और केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने एक बड़ा बयान देते हुए कहा कि, यह धार्मिक विवाद का मामला नहीं है। अयोध्या हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थान है क्योंकि यह भगवान राम की जनमभूमि है। वही मुसलमानों के लिए यह धार्मिक स्थान नहीं है। मुसलमानों के लिए धार्मिक स्थान मक्का है।
This isn’t a matter of religious dispute, as Ayodhya is an important religious place for Hindus because it is the Ram Janambhoomi but for Muslims, it isn’t a religious place, for them it is Mecca. This matter was created &it finally got transformed into a land dispute: Uma Bharti pic.twitter.com/DK1MGnPajo
— ANI (@ANI) September 27, 2018
मीडिया खबर के मुताबिक, भाजपा के पूर्व सांसद वेदांती ने कहा, ‘जहां रामलला विराजमान हैं वहां मंदिर है। वही राम की जन्मभूमि है। वहां मस्जिद नाम की कोई चीज नहीं थी।’ उन्होंने कहा कि अयोध्या में बहुत सारी मस्जिदें हैं लोग उन जगहों पर जाकर नमाज पढ़ सकते हैं। वेदांती ने कहा कि नमाज तो सड़क पर भी पढ़ी जा सकती है।
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वहीं, रामलला मंदिर के मुख्य पुजारी सत्येन्द्र दास ने कहा, ‘राम जन्मभूमि आंदोलन से उभरने वाली पार्टी भाजपा आज मंदिर को भूल गई है। उसके जितने नेता हैं उतनी बातें सुनने को मिलती हैं। पार्टी कहती है कि 2019 का चुनाव अब वह विकास के मुद्दे पर लड़ेगी। राजनीतिक पार्टियां केवल अपने स्वार्थ के लिए राम मंदिर के मुद्दे को उठाती हैं। इसे लेकर लोगों में गुस्सा है। मंदिर के नाम पर लोगों ने भाजपा को वोट दिया लेकिन उसने लोगों के साथ छल किया।’