शहर में छठ पूजा स्थलों की बदहाल स्थिति

रांची : समाचार ऑनलाइन – रांची के नगड़ी भदवा से निकलने स्वर्णरेखा नदी का पानी कला हो गया है। उद्गम के बाद काम दूरी पर ही नदी का प्रदूषित हो जाना चिंताजनक है। अब छठव्रतियों की समझ में नहीं आ रहा है कि इसकी वजह क्या है।  बीते कई वर्षो में इस नदी का पानी इतना गन्दा और बदबूदार कभी नहीं हुआ था, जितना इस बार है।  पानी में इतनी दुर्गन्ध है कि छठ व्रतियों को इसमें स्नान करना भारी पर सकता है।

घाघरा नामकुम से लेकर नामकुम, जोरार व टाटीसिलवे तक कई छठ घाट हैं, जहा छठ पूजा होती है।  लेकिन इस बार लोग परेशान है।  नदी के पानी के गन्दा होने का स्रोत कहा है, यह पता नहीं चल रहा है।  टाटीसिलवे में पश्चिमी पंचायत के समिति सदस्य शैलेश मिश्र व अन्य युवाओ ने ततशीलवे से महिलॉन्ग तक इसका पता लगाने की कोशिश की, लेकिन गंदगी का स्रोत नहीं मिला।

दरअसल, नदी का पानी घाघरा में भी कला दीखता है. गंदगी का स्रोत इस से भी पहले ह।  संभवता शहर के नाले का गन्दा पानी नदी को प्रदूषित कर रहा है. छठ घाटों को व्रत लायक बनाने की कोशिश हो रही है।  टाटीसिलवे में नदी से प्लास्टिक व अन्य चीजें निकाली जा रही है, लेकिन लगता नहीं है कि इसमें कोई खास फायदा होगा

नदियों में प्रदुषण

बीआईटी मेसरा के विद्यार्थियों की कुछ वर्ष पहले एक शोध रिपोर्ट आई थी।  इसमें खुलासा हुआ था कि राज्य की सबसे महत्वपूर्ण नहीं स्वर्णरेखा में विभिन्न स्थलों पर विभिन्न रसायन मानक स्तर से अधिक मात्रा में पाये गए थे।  हटिया डैम से पहले नदी में मरकरी, कीटनाशक व लोहा, टाटीसिलवे में कीटनाशक, लोहा व मरकरी, हीनू नदी व स्वर्णरेखा के संगम से पहले काम ऑक्सीजन व अत्यधिक आयरन, बड़ा घाघरा के पास हीनू नदी में अधिक आयरन व  मरकरी तथा स्वर्णरेखा के सगम स्थल से पहले हरमू नदी में अधिक आयरन, अत्यधिक मरकरी व सोडियम सहित ऑक्सीजन की मात्रा काफी कम पाई गई थी।