भीमा कोरेगांव हिंसा : 5 बुद्धिजीवियों की गिरफ्तारी पर महाराष्ट्र सरकार को नोटिस

पुणे | समाचार ऑनलाइन 
इस साल की शुरुआत में पुणे के भीमा कोरेगांव में हुई हिंसा की जांच में जुटी पुणे पुलिस ने पांच बुद्धिजीवियों को गिरफ्तार किया है। हांलाकि इन गिरफ्तारियों से महाराष्ट्र सरकार की दिक्कतें बढ़ गई हैं। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने वकील व कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज, नागरिक स्वतंत्रता कार्यकर्ता गौतम नवलाखा, वेरनॉन गोंसाल्वे, अरुण फेरेरा और वरवरा राव आदि की गिरफ्तारी पर राज्य सरकार से जवाब मांगते हुए नोटिस जारी की है।
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मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, आयोग ने कहा कि इन गिरफ्तारी के समय पुलिस अधिकारियों द्वारा मानक संचालन प्रक्रिया का सही से पालन नहीं किया गया है। आयोग ने राज्य के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी किए हैं, इस मामले में चार हफ्तों के भीतर इस मामले में तथ्यात्मक रिपोर्ट की मांग की गई है। आज दिल्ली उच्च न्यायालय ने नागरिक स्वतंत्रता कार्यकर्ता गौतम नवलाखा के पारगमन रिमांड पर रोक लगा दी है। अदालत का कहना कि, जिस वजह से उन्हें गिरफ्तार किया गया था पुलिस उनके आरोप को संतोषजनक रूप से समझा नहीं पाई है।
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वकील-कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज के लिए पारगमन रिमांड का फैसला फरीदाबाद के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष रुका हुआ है। उन्होंनेअदालत से कहा है कि उस घटना से उनका कोई लेना देना नहीं है जिसके लिए उसे गिरफ्तार किया गया है। इस मामले की एफआईआर में उसका नाम भी नहीं है पर उनके विचारधारा के कारण उन्हें गिरफ्तार किया गया है। वहीं कार्यकर्ता गौतम नवलाखा के मामले में, अदालत ने सवाल उठाया है कि, पुणे पुलिस स्थानीय गवाह के बिना दिल्ली अदालत से पारगमन रिमांड प्राप्त करने में कैसे कामयाब हुई? मानवाधिकार आयोग को जून 2018 के महीने में महाराष्ट्र पुलिस द्वारा पांच मानवाधिकार रक्षकों, सुरेंद्र गडलिंग, रोना विल्सन, सुधीर ढवाले, शोमा सेन और महेश राउत की अवैध गिरफ्तारी के सबंध में एक एनजीओ से शिकायत मिली थी। उस मामले में आयोग ने 29 जून, 2018 को डीजीपी को एक नोटिस जारी किया था, महाराष्ट्र ने चार हफ्तों के अंदर इस मामले की रिपोर्ट मांगी थी, जिसे अभी तक प्राप्त नहीं किया गया है।